Asaduddin Owaisi: AIMIM ने RJD और Congress को पहुंचाया कितना नुकसान, Muslim वोटरों ने अपनी लीडरशिप के लिए दिया Vote

Tuesday, Nov 18, 2025-02:46 PM (IST)

पटना (विकास कुमार): AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) बिहार की मुस्लिम राजनीति को एक नई दिशा प्रदान की है। इससे पहले बीजेपी (BJP) का डर दिखाकर महागठबंधन (Mahagathbandhan) के बड़े नेता मुस्लिमों का एकमुश्त वोट बटोर लेते थे, लेकिन ओवैसी कई वर्षों से बिहार के मुस्लिमों की अपनी कयादत का सवाल उठाते रहे हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में मजलिस के चार विधायकों को आरजेडी (RJD) ने अपने पाले में कर लिया था। इस मुद्दे को ओवैसी ने तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) द्वारा मुस्लिम लीडरशिप के ‘पीठ में खंजर भोंकना’ बताया था। 

ओवैसी ने मुस्लिमों के अपने नेतृत्व और अपनी पार्टी को विकसित करने का मुद्दा पूरी सिद्दत से इस विधानसभा चुनाव में उठाया था। सीमांचल में मुस्लिम समाज के एक बड़े हिस्से ने ओवैसी की इस मुद्दे को हाथों हाथ ले लिया। इसी का परिणाम है कि मुस्लिम विधायकों की संख्या के लिहाज से बिहार में AIMIM सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। 

मुस्लिम विधायकों के मामले में सबसे बड़ी पार्टी बनी AIMIM 

2025 में बिहार में मुस्लिम विधायकों की संख्या पिछले कई चुनावों की तुलना में सबसे कम है। इस बार पूरे बिहार से केवल 11 मुस्लिम उम्मीदवार ही विधायक बनने में सफल रहे हैं। मुस्लिम विधायकों की संख्या के हिसाब से AIMIM ने आरजेडी और कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया है। 2025 के विधानसभा चुनाव में मजलिस के 5 मुस्लिम विधायक, RJD के 3 मुस्लिम विधायक, कांग्रेस के 2 मुस्लिम विधायक और जेडीयू के एक मुस्लिम विधायक चुने गए हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि बिहार की मुस्लिम राजनीति पर ओवैसी की बेहद मजबूत पकड़ बन गई है। वहीं आरजेडी और कांग्रेस की मुस्लिम समाज पर पकड़ कमजोर हो गई है। 
 

 पार्टी  मुस्लिम विधायकों की संख्या
 AIMIM                                5
 RJD                                  3
 INC                                  2
 JDU                                  1

 

दो विधानसभा सीटों पर AIMIM दूसरे नंबर पर रही 

ओवैसी की मजलिस न केवल 5 मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत दिलाने में सफल रही, बल्कि दो विधानसभा सीटों पर AIMIM की पार्टी दूसरे नंबर पर रही। बलरामपुर (Balrampur) और ठाकुरगंज (Thakurganj) विधानसभा सीट पर महागठबंधन के उम्मीदवारों को हराने में मजलिस की बड़ी भूमिका रही। बलरामपुर (Balrampur) में AIMIM उम्मीदवार मोहम्मद आदिल हसन 80,070 वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे, जबकि भाकपा माले के उम्मीदवार महबूब आलम 79,141 वोट लाकर तीसरे स्थान पर खिसक गए। हालांकि मोहम्मद आदिल हसन और महबूब आलम के बीच कांटे की टक्कर में लोजपा रामविलास की कैंडिडेट संगीता देवी महज 389 वोट लाकर विधानसभा चुनाव जीतने में सफल रहीं। वहीं ठाकुरगंज (Thakurganj) विधानसभा सीट पर AIMIM उम्मीदवार गुलाम हसनैन दूसरे स्थान पर रहे। Thakurganj सीट पर RJD उम्मीदवार सऊद आलम 60,036 वोट लाकर तीसरे स्थान पर खिसक गए। वहीं गुलाम हसनैन और सऊद आलम के बीच टकराव का फायदा JDU उम्मीदवार गोपाल कुमार अग्रवाल को मिला। अग्रवाल 8,822 वोट के अंतर से ठाकुरगंज में विधानसभा चुनाव जीतने में सफल रहे। 

ओवैसी ने 4 विधानसभा सीट पर महागठबंधन को हराया 

असदुद्दीन ओवैसी के उम्मीदवारों ने पांच विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार को हराने में अहम भूमिका अदा की है। प्राणपुर, कसबा, शेरघाटी और केवटी विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवारों को हराने में निर्णायक भूमिका अदा की है। 

 

 विधानसभा क्षेत्र  AIMIM को मिले वोट    MGB के हार का मार्जिन
 प्राणपुर                      30,163      7,752
 कसबा                  35,309                12,875
 शेरघाटी                  14,754        13,524
 केवटी                                        7,474   7,305


AIMIM ने हासिल कर ली अपनी खोई सियासी जमीन 

2025 के विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी ने फिर से अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन हासिल कर ली है। जोकीहाट सीट से मोहम्मद मुर्शिद आलम, बहादुरगंज से तौसीफ आलम, कोचाधामन से सरवर आलम,अमौर से अख्तरुल इमान और बायसी से गुलाम सरवर ने जीत हासिल की है। इसके अलावा कई विधानसभा सीटों पर मजलिस ने उम्मीद से बढ़कर प्रदर्शन किया है। 2025 के विधानसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि बिहार की मुस्लिम राजनीति में ओवैसी की पार्टी AIMIM नंबर वन पर आ गई है। आइए ओवैसी के पांच विधायकों के जीत का अंतर कितना है- 
  

 विधानसभा क्षेत्र  AIMIM                     जीत का अंतर
 जोकीहाट  मो.मुर्शिद आलम        28,803  
 बहादुरगंज  मो.तौसीफ आलम    28,726
 कोचाधामन      मो.सरवर आलम      23,021 
 अमौर    अख्तरुल इमान  38,928
 बायसी  गुलाम सरवर    27,251  


2025 के विधानसभा चुनाव में जीते 11 मुस्लिम MLA 

2025 के विधानसभा चुनाव में बिहार में केवल 11 मुस्लिम ही विधायक बनने में सफल रहे हैं। आइए देखते हैं सभी 11 मुस्लिम विधायकों की लिस्ट- 
 

विधानसभा क्षेत्र पार्टी             विधायक का नाम     जीत का अंतर
 चैनपुर                      JDU  मोहम्मद जमा खान    8,362
 ढ़ाका    RJD    फैसल रहमान  178
 बिस्फी      RJD  आसिफ अहमद  8,107
 रघुनाथपुर  RJD  ओसामा शहाब 9,248
 अररिया  INC      अबैदुर रहमान 12,741
 किशनगंज  INC  मोहम्मद कमरुल होदा 12,749
 जोकीहाट  AIMIM  मो.मुर्शिद आलम 28,803
 बहादुरगंज  AIMIM    मो.तौसीफ आलम   28,726 
 कोचाधामन  AIMIM    मो.सरवर आलम   23,021 
 अमौर  AIMIM    अख्तरुल इमान 38,928
 बायसी  AIMIM     गुलाम सरवर  27,251


1990 से 2025 तक कितनी बदल गई मुस्लिम राजनीति 

पिछले तीस साल की मुस्लिम राजनीति में साल 2000 में सबसे ज्यादा 30 मुस्लिम विधायक जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। 2020 में मुस्लिम विधायकों की संख्या गिरकर 19 पर आ गया था। 2025 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम विधायकों की संख्या घटकर 11 पर पहुंच गई है। इस लिहाज से देखें तो मुस्लिम विधायकों की संख्या 2025 में 2020 की तुलना में काफी कम हो गई है। 1990 से 2025 तक के विधानसभा चुनाव में कब कितने मुस्लिम विधायक जीते इसका पूरा आंकड़ा निम्नलिखित है- 
 

साल   मुस्लिम विधायकों की संख्या
 1990  18
 1995  23
 2000  30
 फरवरी, 2005    24
 अक्टूबर, 2005      26
 2010  19
 2015  24
 2020  19
 2025  11

 

मुस्लिमों ने संख्या नहीं कयादत को चुना 

2025 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिमों ने किसी पार्टी को हराने के लिए वोट नहीं दिया है। इस बार ओवैसी के कहने पर सीमांचल के मुस्लिमों ने अपनी कयादत को विकसित करने के लिए मतदान किया। वहीं मोहम्मद कामरान, रेयाजुल हक राजू और पप्पू खान की बगावत ने बिहार के अलग अलग इलाके में महागठबंधन को भारी नुकसान पहुंचाया। मुकेश सहनी का नाम उपमुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ाना मुस्लिमों के लिए ट्रिगर प्वाइंट बन गया। मुस्लिम समाज में महागठबंधन के इस फैसले पर आक्रोश देखने को मिला। मुस्लिम समाज में ये चर्चा होने लगी कि अगर 2.6 फीसदी निषादों का नेता उपमुख्यमंत्री पद का दावेदार हो सकता है तो 18 फीसदी मुस्लिम समाज के लिए किसी बड़े पद की घोषणा महागठबंधन की तरफ से क्यों नहीं की गई। इसलिए इस बार मुस्लिमों ने बीजेपी के हराने के एजेंडा को पीछे छोड़ अपनी कयादत विकसित करने का विकल्प चुन लिया।


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Content Writer

Ramanjot

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