जिन बेटों को पढ़ा लिखाकर बड़ा किया, उसी ने साथ में रखने से कर दिया इनकार... दिल चीर देगी इन बुजुर्गों की दर्द भरी कहानी

Thursday, Oct 02, 2025-11:24 AM (IST)

Dhanbad News: भगवान का दूसरा रूप मां- बाप होते हैं। मां- बाप हमें बड़ी नाजों से पालते हैं। हमारे हर नखरे सहन करते हैं। बदले में मां- बाप बस यही उम्मीद करते हैं कि जब हम बूढ़े हो जाएं तो बच्चे हमारा सहारा बने, लेकिन कई बच्चे सहारा बनने की बजाय मां- बाप को वृद्ध आश्रम में छोड़ देते हैं और उनकी और मुड़ कर देखते भी नहीं।

आज हम बात करेंगे धनबाद के लालमणि वृद्ध आश्रम की तो यहां कई ऐसे बुजुर्ग हैं जिनका बड़ा परिवार होने के बाद भी वह वृद्ध आश्रम में रह रहे हैं। इनमें से एक हैं कतरास की रहने वाली 86 वर्षीय सावित्री देवी। सावित्री देवी के पांच बेटे हैं। सभी बेटे अपने पैर पर खड़े हैं, लेकिन उनके बेटों ने उन्हें अपने साथ रखने को मना कर दिया। सावित्री देवी बताती है जीवन भर जिसके लिए मर मिटे, पेट काट कर पढ़ाया लिखाया, आज उन बेटे ने ही उन्हें अलग कर दिया, मां का कर्ज भूल गए, मजबूरी में वृद्धा आश्रम में जाकर रहना पड़ रहा है।

ऐसे ही एक और हैं जामाडोबा की रहने वाली 70 वर्षीय पुष्पा रानी। पुष्पा रानी बताती है बच्चों के लालन पालन में सारी उम्र गुजार दी। लगा कि बुढ़ापे में सभी सहारा बनेंगे। पति की मौत के बाद अचानक बच्चे के व्यवहार में बदलाव आ गया। कोई भी बेटा मुझे रखने को तैयार नहीं हुआ जिसके बाद वृद्धा आश्रम में मजबूरी में रहना पड़ रहा है। वहीं, हीरापुर के रहने वाले 65 वर्षीय अजीत लंबे समय से यहां रह रहे हैं। बताते हैं एकमात्र बेटे का निधन हो गया। पत्नी भी चल बसी। जिस रिश्तेदार के लिए हमेशा मदद के लिए तैयार रहता था, अंतिम समय में अब वह भी साथ नहीं दे रहे हैं। सबने अपना अपना रंग दिखा दिया है।

NOTE:- जिन माता-पिता ने हमें जन्म दिया। हमारे बीमार होने पर रात-रात भर जागे। हमें पढ़ाया-लिखाया उन माता-पिता का कर्ज हम कभी भी चुका नहीं सकते। इसलिए हमें माता-पिता के बुढ़ापे का सहारा बनना चाहिए, लेकिन इस दुनिया में कई ऐसे बच्चे हैं जो माता-पिता को वृद्ध आश्रम में छोड़ रहे हैं। यह बिल्कुल गलत है। बच्चों को एक बात याद रखनी चाहिए कि जो हम आज कर रहे हैं आने वाले समय में वह हमें वापिस मिलेगा।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Khushi

Related News

static