विजय कुमार सिन्हा बोले – कृषि रोडमैप और वर्ल्ड फूड इंडिया से बदलेगा बिहार का भविष्य
Saturday, Sep 27, 2025-08:57 PM (IST)

पटना: उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री, बिहार विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 का आयोजन नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में किया जा रहा है। अपने पिछले संस्करणों की अभूतपूर्व सफलता को आगे बढ़ाते हुए यह संस्करण अब तक का सबसे बड़ा आयोजन होगा। इसमें 90 से अधिक देशों, 2,000 से अधिक प्रदर्शकों और खेत से लेकर थाली तक संपूर्ण खाद्य मूल्य श्रृंखला से जुड़े हजारों हितधारकों की भागीदारी होगी।
उन्होंने कहा कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य भारत को खाद्य प्रसंस्करण और आपूर्ति का वैश्विक खाद्य केंद्र के रूप में स्थापित करना है। यह सम्मेलन वरिष्ठ सरकारी प्रतिनिधियों, निवेशकों, देश-विदेश की खाद्य कंपनियों के प्रमुखों और विभिन्न हितधारकों के लिए साझा मंच साबित होगा। दुनिया भर के उत्पादकों, खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं, उपकरण निर्माताओं, लॉजिस्टिक्स और कोल्ड चेन कंपनियों, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, स्टार्ट-अप्स, नवप्रवर्तकों तथा खुदरा विक्रेताओं को अपनी क्षमता प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की खाद्यान्न आपूर्ति में बिहार भी अपना महत्वपूर्ण योगदान बेहतर उत्पादन और उत्पादकता के साथ कर रहा है। बिहार ने बीते वर्षों में कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। वर्ष 2024-25 में राज्य में 33.45 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती कर 99.34 लाख मीट्रिक टन उत्पादन प्राप्त हुआ। इसी प्रकार 23.40 लाख हेक्टेयर में गेहूँ की बुवाई से 78.27 लाख मीट्रिक टन और 9.55 लाख हेक्टेयर में मक्का की खेती से 66.03 लाख मीट्रिक टन उत्पादन दर्ज हुआ। विशेष रूप से मक्का की उत्पादकता 69.13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रही, जो अब तक का सर्वोच्च स्तर है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2024-25 में कुल 71.05 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 249.21 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ है। यह उपलब्धि किसानों की मेहनत, आधुनिक तकनीक और राज्य सरकार की दूरदर्शी नीतियों का प्रतिफल है। इस वर्ष औसत उत्पादकता 35.08 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई, जो बिहार के कृषि इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार की तीन-चौथाई से अधिक आबादी प्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है, जिनमें 91% से अधिक किसान लघु एवं सीमांत श्रेणी के हैं। ऐसे किसानों को सशक्त बनाने के लिए राज्य में कृषि रोडमैप आधारित विकास रणनीति अपनाई गई है। वर्तमान में चौथा कृषि रोडमैप (2023-2028) लागू है, जिसके अंतर्गत फसल उत्पादन, उत्पादकता और विविधता में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
उन्होंने बताया कि पिछले डेढ़ दशक में गेहूँ की उत्पादकता डेढ़ गुना, मक्का की उत्पादकता दो गुना और चावल की उत्पादकता ढाई गुना बढ़ी है। नकदी फसलों, बागवानी, फूलों की खेती और जल कृषि में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। बेहतर बीज, सिंचाई, मृदा स्वास्थ्य और कृषि ऋण तक किसानों की पहुँच में सुधार हुआ है। राज्य सरकार कृषि यांत्रिकीकरण को बढ़ावा देने हेतु 75 प्रकार के कृषि यंत्रों पर 80% तक अनुदान दे रही है। इन उपलब्धियों के आधार पर बिहार को अब तक पाँच कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।
उप मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से मखाना का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि देश के कुल मखाना उत्पादन का 85% बिहार में होता है। केंद्र सरकार द्वारा मखाना बोर्ड की स्थापना का निर्णय न केवल सराहनीय है बल्कि यह राज्य के हजारों किसानों को प्रत्यक्ष लाभ पहुंचाने वाला कदम है। इससे करीब 50 हजार मखाना उत्पादक किसान परिवार लाभान्वित होंगे और बिहार के मखाना को वैश्विक पहचान मिलेगी। राज्य सरकार की योजनाओं के अंतर्गत मखाना उत्पादन और प्रसंस्करण को गति दी जा रही है।
उप मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 जैसे आयोजनों से न केवल बिहार की कृषि संभावनाओं को सुदृढ़ करेंगी, बल्कि किसानों की आय वृद्धि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा प्रदान करेंगी। उन्होंने कहा कि बिहार कृषि विकास के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है और राज्य सरकार किसानों के साथ हर कदम पर मजबूती से खड़ी है।