निधि की ब्लॉक प्रिंटिंग बनी संवाद की भाषा, मूक-बधिर कलाकार ने रच दी सफलता की कहानी

Friday, Jun 13, 2025-08:22 PM (IST)

पटना:जब जिंदगी किसी को बोलने और सुनने की क्षमता नहीं देती, तब निधि जैसे कलाकार अपनी कला को ही जुबान बना लेती हैं। अपनी कला के हुनर के दम पर पूरी जिंदगी बदल लेती हैं। निधी ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और सच्चे समर्पण से हर बाधा को पार करते हुए एक मुकाम तक पहुंचने में सफलता हासिल की है। सहरसा की रहने वाली निधि कुमारी जन्म से मूक-बधिर हैं, लेकिन पारंपरिक ब्लॉक प्रिंटिंग को अपना जीवन बना लिया। एक ऐसी कला, जो अब उनकी पहचान और संवाद का माध्यम बन चुकी है।

निधि ने महज आठ साल की उम्र में ही ब्लॉक प्रिंटिंग की बारीकियां सीखनी शुरू कर दी थीं। कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने इस प्राचीन हस्तकला में निपुणता हासिल की, जिसमें लकड़ी के ब्लॉक से कपड़ों पर हाथ से डिजाइन बनाए जाते हैं। आज उनके बनाए डिजाइन न केवल सुंदरता में अद्वितीय होते हैं, बल्कि उनकी भावनाओं और दृष्टिकोण को भी बिना बोले व्यक्त करते हैं ।

PunjabKesari

उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, पटना में प्रशिक्षण के दौरान निधि ने ब्लॉक प्रिंटिंग की परंपरागत तकनीकों में दक्षता हासिल की। उन्होंने कई जिला स्तरीय कला प्रतियोगिताओं में भाग लिया और पुरस्कार भी प्राप्त किए। साथ ही, बिहार कला उत्सव जैसे प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन कर राज्य का गौरव बढ़ाया है।

निधि की प्रिंट की गई कलाकृतियां ग्रामीण जीवन, प्रकृति और लोक परंपराओं की जीवंत झलक पेश करती हैं। उनके हर प्रिंट में अनुशासन और भावनाओं की गहराई स्पष्ट दिखाई देती है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Ramanjot

Related News

static