Bihar Election 2025: तेजस्वी का बड़ा वादा! भोजपुरी-मगही-बज्जिका-अंगिका को मिलेगा आधिकारिक भाषा का दर्जा

Thursday, Oct 30, 2025-07:40 AM (IST)

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर विपक्षी ‘INDIA Alliance’ ने मंगलवार (28 अक्टूबर) को अपना घोषणा पत्र जारी किया है। इसे ‘तेजस्वी प्रण पत्र’ (Tejashwi Pran Patra) नाम दिया गया है। इस घोषणा पत्र में क्षेत्रीय पहचान और भाषा को लेकर बड़ा वादा किया गया है — गठबंधन ने भोजपुरी, मगही, बज्जिका और अंगिका को Official Language Status दिलाने की दिशा में पहल करने का आश्वासन दिया है।

भाषाई गौरव को मिले सम्मान

महागठबंधन के घोषणा पत्र में कहा गया है कि भोजपुरी, मगही, बज्जिका और अंगिका भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची (8th Schedule of the Constitution) में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार से पहल की जाएगी। इससे इन भाषाओं को आधिकारिक भाषा (Official Language) का दर्जा मिल सकेगा।

भोजपुरी: बिहार की आत्मा से जुड़ी बोली

भोजपुरी बिहार की सबसे समृद्ध भाषाओं में से एक है, जो भोजपुर, बक्सर, सारण, सीवान, गोपालगंज, कैमूर, रोहतास और चंपारण जैसे जिलों में व्यापक रूप से बोली जाती है। यह न केवल एक भाषा, बल्कि इस क्षेत्र की संस्कृति और परंपरा की पहचान है।

बज्जिका: उत्तर बिहार की जनभाषा

बज्जिका भाषा मुजफ्फरपुर, वैशाली, शिवहर और पश्चिम चंपारण के लोगों की मातृभाषा है। यह मैथिली से मिलती-जुलती भाषा है और स्थानीय जनजीवन से गहराई से जुड़ी है।

मगही: प्राचीन मगध साम्राज्य की भाषा

मगही भाषा का उद्गम मगध साम्राज्य (Magadh Empire) से माना जाता है। यह गया, नालंदा, पटना, औरंगाबाद, शेखपुरा, नवादा और लखीसराय में बोली जाती है। इसे बिहार की ऐतिहासिक पहचान से जोड़ा जाता है।

अंगिका: अंग प्रदेश की पहचान

अंगिका भाषा मुख्य रूप से भागलपुर, मुंगेर, बांका, पुर्णिया प्रमंडल और आसपास के दक्षिण-पूर्वी जिलों में बोली जाती है। यह भाषा अंग प्रदेश की ऐतिहासिक संस्कृति और लोकगाथाओं की वाहक मानी जाती है।

भाकपा (माले) विधायक का बीजेपी-जेडीयू पर हमला

भाकपा (माले) के विधायक अजीत कुमार सिंह ने इस मुद्दे पर NDA सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “भोजपुरी, मगही, बज्जिका और अंगिका को लेकर केंद्र और राज्य की सत्तारूढ़ सरकारों ने हमेशा सौतेला रवैया अपनाया है।” उन्होंने कहा कि बीजेपी और जेडीयू के किसी शीर्ष नेता ने अब तक इन भाषाओं को राजभाषा (Official Language) का दर्जा देने पर एक शब्द नहीं कहा। यह उन मतदाताओं के साथ अन्याय है जो इन भाषाओं को अपनी मातृभाषा (Mother Tongue) मानते हैं।


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Ramanjot

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