गंगा की लहरों में फंसी ज़िंदगी! 35 किसान डूबे, 4 मछुआरों ने किया चमत्कार
Tuesday, Mar 18, 2025-11:01 AM (IST)

पटना: बिहार के कटिहार में गंगा नदी में एक बार फिर बड़ा नाव हादसा हुआ, जिसने इलाके में सनसनी मचा दी। 35 किसान सब्जी लेकर जा रहे थे, जब अचानक तेज हवा के कारण उनकी नाव गंगा में पलट गई। डूबते किसानों की चीख-पुकार से नदी किनारे मछली पकड़ रहे चार मछुआरे सतर्क हो गए। उन्होंने अपनी जान पर खेलकर सभी किसानों को सुरक्षित बचा लिया। यह हादसा अमदाबाद थाना क्षेत्र के गदाई दियारा में हुआ, जहां पहले भी कई नाव दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
तेज हवा, ओवरलोड नाव और फिर… मंझधार में जिंदगी!
गंगा के दियारा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर परवल की खेती होती है। सोमवार को किसान परवल की भारी खेप लेकर नाव से मनिहारी की ओर जा रहे थे। नाव पर लगभग 30 क्विंटल परवल लोड था, जिससे उसकी क्षमता काफी बढ़ गई थी। तभी अचानक तेज हवा चली और नदी में ऊँची लहरें उठने लगीं। नाव संतुलन नहीं रख पाई और देखते ही देखते गंगा की लहरों में समा गई। किसान जान बचाने के लिए परवल की टोकरी के सहारे तैरने लगे और मदद के लिए जोर-जोर से चिल्लाने लगे।
चार बहादुर मछुआरों ने दिखाया जज्बा, बचाई 35 जानें
संयोग से पास में ही मेघु टोला गांव के चार युवक – कुंदन, लालू, दशरथ और गोविंद अपनी नाव से मछली पकड़ रहे थे। उन्होंने अपनी सूझबूझ से किसानों को बचाने का बीड़ा उठाया। मछुआरों ने पहले 12-13 लोगों को अपनी नाव पर चढ़ाया, फिर अन्य नाविकों को भी बुलाया। देखते ही देखते सभी 35 किसानों को सकुशल बचा लिया गया। डूबते किसानों को निकालने के दौरान उनके सब्जी से भरे टोकरियां भी पानी में तैरने लगीं, जिन्हें बाद में निकाला गया।
इससे पहले भी हो चुका है भयानक हादसा, गई थीं 9 जानें
कटिहार के इस इलाके में नाव हादसे कोई नई बात नहीं हैं। इसी साल जनवरी में अमदाबाद के मेघु टोला में एक बड़ा नाव हादसा हुआ था, जिसमें 17 लोग गंगा की लहरों में समा गए थे। इनमें से 9 की मौत हो गई थी। इसके बाद प्रशासन ने क्षमता से अधिक नाव संचालन पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी, लेकिन हकीकत यह है कि नियमों की धज्जियां अब भी उड़ रही हैं।
प्रशासन हरकत में, फिर भी सुरक्षा के नियम हवा में
इस ताजा हादसे के बाद प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है। नावों की सुरक्षा और उनकी क्षमता को लेकर समीक्षा की जा रही है, लेकिन सवाल यह है कि जब पहले ही कई जाने जा चुकी हैं, तो ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों हो रही हैं? क्या प्रशासन की सख्ती सिर्फ कागजों तक सीमित है? या फिर जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं होता, तब तक कोई कार्रवाई नहीं होती?