बिहार में दो चरणों में होंगे विधानसभा चुनाव, EC ने किया तारीखों का ऐलान ।। Bihar Election 2025 Dates
Monday, Oct 06, 2025-06:21 PM (IST)

Bihar Elections 2025 Dates: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रेंस कॉन्फ्रेस के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने तारीखों की घोषणा की है। राज्य में दो चरणों में चुनाव होंगे। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा। वहीं मतगणना 14 नवंबर को होगी।
पहली बार बिहार में दो चरण में होगी वोटिंग
पहली बार बिहार में दो चरण में वोटिंग होगी। 2005 से 2020 तक तीन चरण से कम में कभी वोटिंग नहीं हुई। 2010 में तो छह चरण में वोटिंग हुई थी।
22 नवंबर को समाप्त होगा विधानसभा का कार्यकाल
बिहार में 243 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से 2 अनुसूचित जनजातियों के लिए और 38 अनुसूचित अनुसूचित जाति। बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर, 2025 को समाप्त हो रहा है। चुनाव आयोग ने पहली बार बूथ-स्तरीय अधिकारियों को प्रशिक्षित किया। SIR 24 जून, 2025 को शुरू किया गया था और समय सीमा तक पूरा हो गया। सुचारू मतदान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए "किसी भी मतदान केंद्र पर 1,200 से ज़्यादा मतदाता नहीं होंगे।
एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला
वर्तमान में, एनडीए के पास 131 सीटें हैं (भाजपा 80, जेडी(यू) 45, हम (एस) 4 और 2 निर्दलीय), जबकि महागठबंधन के पास 111 सीटें हैं (राजद 77, कांग्रेस 19, सीपीआई(एमएल) 11, सीपीआई(एम) 2, सीपीआई 2)। आगामी चुनावों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ एनडीए और राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होने की उम्मीद है।
NDIA गठबंधन में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय!
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता एवं गठबंधन की समन्वय समिति के प्रमुख तेजस्वी यादव के आवास पर देर शाम तक चली इस बहुदलीय बैठक में कांग्रेस, वाम दलों और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) समेत सभी घटक दलों के नेता शामिल हुए। बैठक के बाद विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने संवाददाताओं से कहा, “सभी बातें तय हो चुकी हैं, लेकिन फिलहाल मैं विवरण नहीं बता सकता। 7 अक्टूबर हम संवाददाता सम्मेलन में पूरी जानकारी साझा करेंगे।”
बता दें कि पार्टी ने 2020 के चुनावों में 110 सीट पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 75 पर जीत हासिल की थी, और अन्य दलों के दलबदल और उपचुनावों में जीत के कारण पिछले कुछ वर्षों में इसकी ताकत बढ़ी है।