आदिवासी-मूलवासी के अंदर घोर निराशा व आक्रोश है, इस बार NDA की विदाई तय: सुप्रियो भट्टाचार्य

4/17/2024 12:06:55 PM

Ranchi: सिंहभूम का इलाका हो, पलामू हो या चतरा हो, इन इलाकों में जो मूलवासी आदिवासी हैं उन्होंने अपना मन बना लिया है कि पिछले 10 साल के प्रशासक और उनके अरमानों से खेलने वाले जो लोग हैं, उन्हें अब दोबारा चुन कर वापस सत्ता में नहीं लाएंगे। उनसे लोग व्यथित हैं। बीजेपी के 10 सालों तक जो प्रतिनिधि रहे हैं उनके प्रति इन सभी के अंदर घोर निराशा और आक्रोश है। उक्त बातें झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने पार्टी कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में कहीं।

सुप्रियो ने कहा कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के द्वारा जिस भाषा का उपयोग किया जा रहा है उसको लेकर भी निराशा और आक्रोश है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के के पास सांप्रदायिक मुद्दा छोड़ और कोई मुद्दा नहीं है। एनडीए की विदाई तय है। क्या बीजेपी के अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष डर गए हैं, सहम गए हैं अपनी हार को लेकर। उन्होंने बीजेपी को घेरते हुए कहा कि बीजेपी के लोग रोजगार पर नहीं बोलते हैं। 2026 में ओलंपिक करवाएंगे, क्या यह कोई मुद्दा है। रोजगार पर कौन बोलेगा, महिलाओं की सुरक्षा पर कौन बोलेगा, देश के असली मुद्दों पर कौन बोलेगा। सुप्रियो ने कहा कि हम बात करते हैं मुद्दों की, यह बात करते हैं धर्म की। उन्होंने कहा कि धर्म में हमारी आस्था है और अगर धर्म पर ही बात करना है तो आदिवासी सरना धर्म कोड पर कौन बात करेगा। उन्होंने कहा कि सब जानते हैं कि क्या- क्या यहां (झारखंड) हुआ है और हमारे नेता हेमंत सोरेन के साथ क्या किया गया है। लगातार ईडी के द्वारा दमनकारी कार्य हो रहा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अब तो लगता है आने वाले दिनों में मीडिया के लिए यह खबर होगी कि आज के दिन ईडी की कोई रेड नहीं हुई है।

झामुमो के नेता के द्वारा पीएम मोदी को 400 फीट अंदर गाड़ देने के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बहुत तरस आता है बीजेपी की सोच पर। हमारे जो कार्यकर्ता हैं, उन्होंने चुनावी सभा में इन बातों को बोला है और चुनावी सभा में राजनीतिक बातें होती हैं। भाजपा को यह बताना चाहिए कि प्रधानमंत्री ने संसद में किस हैसियत से कह दिया कि अबकी बार 400 की ऊपर सीट आएंगे। हमारे कार्यकर्ता का कहने का मतलब था कि 400 फीट भाजपा को नीचे कर देंगे, हमारे  नेता नजरुल का कहने का यही आशय था। सुप्रियो ने इसे राजनीतिक भाषा करार दिया।


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Khushi

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