झारखंड के प्रवासी श्रमिक की यूपी में मौत, शव न मिलने के कारण परिजनों ने पुतला बनाकर किया अंतिम संस्कार

Thursday, Aug 14, 2025-10:54 AM (IST)

रांची: आजीविका की तलाश में निकले झारखंड के गिरिडीह जिले के 38 वर्षीय प्रवासी श्रमिक की उत्तर प्रदेश में मौत के बाद उसकी पत्नी ने सरकार से मुआवजा देने का अनुरोध किया है। मृतक की पत्नी सुमति देवी (35) के पास इतने पैसे नहीं है कि वह आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश जा सके। उसने राज्य सरकार से उसकी यात्रा का बंदोबस्त करने का भी अनुरोध किया है।

रांची में राज्य प्रवासी श्रमिक नियंत्रण कक्ष के एक अधिकारी के अनुसार, सुमति देवी का पति सीताराम यादव एक सप्ताह पहले ट्रेन से यात्रा कर रहा था और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने उसे पांच अगस्त को आगरा में ट्रेन में बेहोशी की हालत में पाया। अधिकारी ने बताया कि जीआरपी उसे अस्पताल ले गई जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अधिकारी ने कहा, ‘‘आगरा पुलिस ने यादव के पास मिले दस्तावेजों के आधार पर गिरिडीह में उसके परिवार से संपर्क किया। शुरुआत में, परिवार तस्वीर से शव को नहीं पहचान सका, लेकिन बाद में उसने मृतक के हाथ पर टैटू से उसकी पहचान की।'' हालांकि, परिजन यह साबित करने के लिए उत्तर प्रदेश प्रशासन को कोई दस्तावेज भेजने में विफल रहे कि मृतक उनके परिवार का सदस्य था। इसलिए पुलिस ने शव को अज्ञात बताकर आगरा में उसका अंतिम संस्कार कर दिया। यादव की पत्नी ने कहा कि उसका पति राजस्थान में आजीविका की तलाश में गिरिडीह जिले के जमुआ ब्लॉक में अदुआडीह गांव स्थित अपने घर से एक महीने पहले निकला था। सुमति देवी ने कहा, ‘‘शुरुआत में हम शव को नहीं पहचान सके क्योंकि हमें यह मालूम था कि यादव राजस्थान में हैं। वह आगरा में कैसे हो सकते थे? जब हमने उनके हाथ पर टैटू के रूप में उनका नाम देखा, तो हमने उन्हें पहचान लिया, लेकिन तब तक उनका अंतिम संस्कार हो चुका था। हम बहुत गरीब परिवार से हैं। हमारे पास आगरा जाने के लिए पैसे नहीं हैं।''

सुमति देवी ने बताया कि शव नहीं होने के कारण उसके पति का पुतला बनाकर रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया। तीन बच्चों की मां सुमति ने कहा कि यादव परिवार का इकलौता कमाने वाले सदस्य था। उसने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि मैं कैसे गुजारा करूंगी। मैं सरकार से आग्रह करती हूं कि हमें सरकारी मुआवजा दिलाने में मदद करें।'' नियंत्रण कक्ष के अधिकारी ने कहा, ‘‘1.5 लाख रुपये के मुआवजे का प्रावधान है, जिसमें अपंजीकृत प्रवासी श्रमिकों का शव लाने के लिए 50,000 रुपये शामिल हैं। चूंकि अंतिम संस्कार किया जा चुका है, इसलिए परिवार एक लाख रुपये का दावा कर सकता है लेकिन इसके लिए परिवार को आगरा में प्राथमिकी दर्ज करानी होगी और वैध दस्तावेज पेश करने होंगे।'' सुमति देवी ने कहा कि इस संकट में परिवार के लिए सरकार ही एकमात्र उम्मीद है।


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Khushi

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