Big News : बिहार में नक्सलवाद की उलटी गिनती शुरू! कुछ जंगलों को छोड़ पूरा बिहार नक्सल मुक्त!
Sunday, Aug 03, 2025-05:48 PM (IST)

पटना:बिहार में अब लाल आतंक की उलटी गिनती चल रही है। नक्सल आतंक अब अपनी समाप्ति की ओर है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासन काल के दौरान इस आतंक के लिखाफ वर्षों से अभियान चलाया जा रहा है। जिसका असर साफ दिखने लगा है। इस साल 2025 में अब तक एक भी नक्सली हिंसा की वारदात नहीं हुई है। वहीं, फर्जी नक्सली गतिविधियों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाए गए हैं।
राज्य से लगभग खत्म हुई नक्सली मौजूदगी
बिहार पुलिस, एसटीएफ और सीआरपीएफ की संयुक्त कार्रवाई ने राज्य के सुदूरवर्ती जंगलों तक नक्सलियों की कमर तोड़ दी गई है। पुलिस मुख्यालय की मानें तो अब सिर्फ मुंगेर और जमुई जिलों के कुछ दुर्गम जंगलों में ही इनकी गतिविधियां रह गई हैं। मगर कभी ये इलाके नक्सल का गढ़ कहे जाते थे। औरंगाबाद जैसे जिले भी अब शांत हैं। हालांकि, सतर्कता बरकरार रखते हुए इन इलाकों को अलर्ट पर रखा गया है।
सिर्फ कुछ चेहरे बाकी, पूरा बिहार ‘नक्सल मुक्त’
बिहार पुलिस के अनुसार अब पूरा राज्य नक्सल मुक्त हो चुका है। पूरे राज्य में सिर्फ लखीसराय-जमुई के कुछ जंगल हैं, जहां कुछ गिने-चुने नक्सली बचे हैं। मगध जोन में सिर्फ एक इनामी नक्सली नितेश यादव पुलिस गिरफ्त से बाहर है। बाकी या तो गिरफ्तार हो चुके हैं या सीमावर्ती राज्यों की ओर भाग चुके हैं।
उत्तर बिहार नक्सलमुक्त, जल्द ही पूरे राज्य से होगा सफाया : एडीजी
“नक्सलियों की गतिविधि बिहार में काफी सिमट गई है। सिर्फ लखीसराय और जमुई के कुछ सुदूरवर्ती इलाकों में इनकी गतिविधि है। एसटीएफ की खास टुकड़ी को इन इलाकों में तैनात किया गया है। मार्च 2026 तक पूरे देश से नक्सली सफाए की घोषणा के तहत बिहार ने भी अभियान तेज किया है।”
— कुंदन कृष्णन, एडीजी, मुख्यालय सह एसटीएफ प्रमुख
कोई नक्सल वारदात नहीं, फर्जी चेहरे बेनकाब
बिहार पुलिस के अनुसार, इस साल अब तक 82 नक्सली गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जबकि 3 कुख्यात नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। राज्य में दर्ज 12 नक्सल संबंधी मामलों ऐसे मामले भी आए, जिसकी जांच में यह पता चला कि ये सभी फर्जी हैं। इन मामलों की तफ्तीश में पता चला कि लोकल अपराधी नक्सलियों के नाम पर डर का माहौल बनाना चाहते थे। जो पोस्टरबाजी कर, धमकी देकर इलाके में डर का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे थे। इनका मकसद डर का मौहौल बनाकर पैसे की उगाही था। इनका असली नक्सल नेटवर्क से इनका कोई सीधा संबंध नहीं था।
आत्मसमर्पण की बाढ़, एक के बाद एक नक्सलियों ने डाले हथियार
बताते चलें कि हाल के दिनों में पुलिस ने कई अभियान चलाए। जिसकी वजह से नक्सल की कमर तोड़ने में सफलता मिली है। पुसिल से मिली जानकारी के अनुसार 9 अप्रैल को बांका जिले में एक लाख के इनामी रमेश उर्फ टेटुआ मार गिराया गया। 5 जुलाई को मुंगेर में सुरेश कोढ़ा के दस्ते से मुठभेड़ हुई। जून-जुलाई में तीन बड़े इनामी नक्सलियों रावण कोड़ा, अखिलेश सिंह भोक्ता और भोला कोड़ा ने आत्मसमर्पण किया। इन आत्मसमर्पणों ने नक्सल संगठन को बड़ा झटका दिया है।
भारी मात्रा में असलहा बरामद
बिहार पुलिस को नक्सल अभियान में भारी सफलता मिली है। इस दौरान पुलिस ने भारी मात्रा में असलहा बारूद बरामद हुआ। पुलिस के अनुसार विभिन्न अभियानों में 3 एसएलआर, 2 सेमी-ऑटोमेटिक राइफल, 567 गोलियां, 67 आईईडी विस्फोटक बरामद किए गए। इनके साथ ही अफीम की खेती को भी नष्ट कर संगठन की आर्थिक रीढ़ तोड़ने की दिशा में गंभीर कदम उठाए गए हैं।