राजधानी में छाई छठ की छटा...दूसरे दिन घाटों पर उमड़ी भीड़, स्नान करने के बाद गंगाजल लेकर घर लौटे व्रती

10/29/2022 3:03:57 PM

पटनाः लोक आस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन खरना करने की परंपरा है। बिहार में लोकआस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ के आज दूसरे दिन राजधानी पटना समेत राज्य के विभिन्न इलाकों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा समेत अन्य नदियों और तालाबों में स्नान किया। 

गंगाजल लेकर अपने घर लौटे व्रती
छठ की छटा पूरी राजधानी में छाई हुई है। घर से लेकर घाट तक, गलियों से लेकर सड़कों तक... हर तरफ आकर्षक सजावट दिख रही है। घाटों पर व्यवस्था दुरुस्त कर दी गई है। वहीं सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। व्रतियों की सुविधाओं का विशेष ख्याल रखा गया है। गंगा नदी में आज सुबह स्नान करने के बाद व्रती समेत उनके परिवार के सदस्य गंगाजल लेकर अपने घर लौटे और पूजा की तैयारी में जुट गए हैं। व्रत का आज दूसरा दिन है इस दिन खरना व्रत की परंपरा निभाई जाती है, जो कार्तिक शुक्ल की पंचमी तिथि होती है। 

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प्रसाद खाने के बाद शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत
ऐसी मान्यता है कि खरना के दिन यदि किसी भी तरह की आवाज हो तो व्रती खाना वहीं छोड़ देते हैं। इसलिए, इस दिन लोग यह ध्यान रखते हैं कि व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के समय आसपास शोर-शराबा ना हो। खरना के मौके पर व्रती पूरी निष्ठा और पवित्रता के साथ भगवान भास्कर की आज शाम पूजा-अर्चना करेंगे। भगवान भास्कर को गुड़ मिश्रित खीर और घी की रोटी का भोग लगाकर स्वयं भी ग्रहण करेंगे। इसके बाद भाई-बंधु, मित्र और परिचितों में खरना का प्रसाद बांटा जाएगा। उसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निराहार एवं निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा।

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महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर फल एवं कंद मूल से प्रथम अर्घ्य अर्पित करते हैं। पर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देते हैं। दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त होता है और वे अन्न-जल ग्रहण करते हैं।


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Ramanjot

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