Bihar soil testing labs: अब मिट्टी जांच के लिए नहीं दौड़ना पड़ेगा दूर-दराज़, 32 नई लैब्स जल्द होंगी तैयार
Wednesday, Oct 01, 2025-08:59 PM (IST)

पटना: अब बिहार के किसानों को खेत की मिट्टी की जांच के लिए जिला मुख्यालय या प्रमंडल तक दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार ने 2025-26 तक 25 जिलों में कुल 32 नई अनुमंडल स्तर की मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं स्थापित करने का फैसला किया है।
नई लैब्स से मिट्टी और फसल की जानकारी नजदीकी स्तर पर
इस पहल का उद्देश्य किसानों को उनके नजदीकी क्षेत्रों में ही मिट्टी की गुणवत्ता और पोषक तत्वों की जानकारी देना है। कृषि विभाग ने इस योजना को तेजी से लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है, जिससे राज्य में खेती अधिक वैज्ञानिक और डेटा-आधारित तरीके से संचालित होगी।
अब नहीं करना पड़ेगा लंबा सफर
नई लैब्स गोपालगंज, भभुआ, गयाजी, नवादा, भोजपुर, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, बेगूसराय, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, वैशाली, पश्चिम चंपारण, भागलपुर, मुंगेर और मधेपुरा में एक-एक, जबकि पटना, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, रोहतास, सुपौल, मधुबनी और सारण में दो-दो स्थापित की जाएंगी। इससे किसान अपने अनुमंडल स्तर पर मिट्टी जांच करवा सकेंगे और बार-बार दूर के केंद्रों तक जाने की जरूरत नहीं होगी।
12 प्रमुख पैमानों पर होगी मिट्टी की जांच
नई लैब्स में मिट्टी की 12 महत्वपूर्ण जाँचें होंगी, जिनमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और पीएच स्तर शामिल हैं। नमूने लेने के लिए डिजिटल सिस्टम लागू किया गया है। कृषि कर्मी खेतों में जाकर मिट्टी के सैंपल, खेत की फोटो, अक्षांश-देशांतर और किसान का विवरण ऐप पर अपलोड करते हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना के तहत पांच लाख नमूनों की जांच हुई, जिससे राज्य के लाखों किसानों को लाभ मिला।
समय और लागत में बचत, उत्पादन में वृद्धि
यह सुविधा किसानों को मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी और फसल चयन की जानकारी देने में मदद करेगी। गोपालगंज के किसान रामाशीष सिंह बताते हैं कि मिट्टी में जिंक की कमी की पहचान के बाद उन्होंने संतुलन किया और धान की पैदावार में 20% वृद्धि हुई।
अनुमंडल स्तर पर इस सुविधा से किसानों का समय और खर्च बचेगा और खेती अधिक वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीके से संचालित होगी।
बिहार की खेती को नई दिशा
नई लैब्स न केवल मिट्टी की गुणवत्ता की जानकारी देंगी, बल्कि फसल चयन में भी मार्गदर्शन करेंगी। यह पहल छोटे और मझोले किसानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। राज्य में आधुनिक और टिकाऊ खेती की दिशा में यह कदम एक बड़ी पहल माना जा रहा है।