भीड़ नहीं, आराम मिला! ‘फेस्टिवल स्पेशल’ बसों से ढाई लाख से अधिक प्रवासियों ने कहा धन्यवाद बिहार सरकार

Tuesday, Nov 25, 2025-07:53 PM (IST)

पटना:बिहार सरकार द्वारा पहली बार बड़े पैमाने पर शुरू की गई अंतरराज्यीय विशेष बस सेवा त्योहारों के सीजन में बड़ी सफलता साबित हुई। दशहरा, दीपावली और छठ जैसे प्रमुख त्योहारों के दौरान इस योजना का लाभ 2.50 लाख से अधिक प्रवासी बिहारियों को मिला। 20 सितंबर से 19 नवंबर 2025 तक परिवहन विभाग ने कुल 220 विशेष बसों का संचालन किया, जिसने घर वापसी को सुगम, सुरक्षित और किफायती बनाया।

बीएसआरटीसी ने दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और झारखंड के 17 प्रमुख रूटों पर पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत इन बसों को चलाया। विशेष बात यह रही कि सरकार ने यात्रियों के साथ-साथ निजी बस ऑपरेटरों को भी सब्सिडी का प्रावधान दिया, जिससे किराया किफायती रहा और संचालन सुचारू रूप से चलता रहा।

परिवहन विभाग के अपर मुख्य सचिव के अनुसार दिवाली से एक सप्ताह पूर्व से लेकर छठ समाप्ति के एक सप्ताह बाद तक बसों में अत्यधिक भीड़ रही। त्योहारों के दौरान रोजाना औसतन 107 बसें रवाना हुईं और कुल 6,241 ट्रिप पूरे किए गए। बसों में करीब 81% सीटें भरी रहीं। ऑनलाइन टिकट बुकिंग की संख्या भी बढ़ी, जिसमें 8,000 से अधिक यात्रियों ने ऑनलाइन टिकट लिया। इनमे 1,709 महिलाएं शामिल थीं।

सब्सिडी का मिला बड़ा लाभ

योजना के लिए बिहार सरकार ने कुल 60 करोड़ रुपये का बजट तय किया था। इसमें 36 करोड़ रुपये बस ऑपरेटरों के लिए और 24 करोड़ रुपये यात्रियों की फेस्टिवल सब्सिडी के रूप में निर्धारित थे। अब तक 7.50 करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी के भुगतान की प्रक्रिया जारी है।

यात्रियों ने सेवा की सराहना की

प्रवासी यात्रियों ने इस पहल को बेहद उपयोगी बताया। एक यात्री ने बताया, “त्योहारों के समय निजी बसों का किराया काफी बढ़ जाता था, इसलिए मजबूरी में ट्रेन का सहारा लेना पड़ता था। इस बार निगम की बसें सस्ती, समय पर और भीड़-भाड़ से मुक्त रहीं।”
इस योजना का असर सिर्फ यात्रा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि विधानसभा चुनाव में प्रवासियों की भागीदारी बढ़ने के कारण मतदान प्रतिशत में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई। यह योजना दर्शाती है कि सही नीति, बेहतर प्रबंधन और समय पर सुविधा देन से त्योहारों में घर वापसी को बेहद आसान और सुरक्षित बनाया जा सकता है।


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Ramanjot

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