प्रशांत किशोर को बिहार की महिलाओं ने दिया बड़ा झटका, शराबबंदी का विरोध कर बुरी तरह से फंस गए हैं पीके

Saturday, Oct 05, 2024-10:50 AM (IST)

पटना (विकास कुमार): गांधी जी कहते थे कि, “शराब शैतान की खोज है, शराब पीने वालों से न केवल पैसे छीनती है बल्कि उनकी बुद्धि भी छीन लेती है”। ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि शराबबंदी का विरोध करने वाले पीके को क्या गांधी जी की तस्वीर का इस्तेमाल करने का नैतिक अधिकार है?

जन सुराज पार्टी की स्थापना के दिन प्रशांत किशोर ने एक विवादित बयान दिया था। पीके ने कहा था कि सरकार बनते ही एक घंटे में वे शराबबंदी को हटाने का फैसला लेंगे। हैरानी की बात है कि बात-बात पर बापू का नाम लेने वाले प्रशांत किशोर ने उनकी ही मर्यादा को तार-तार कर दिया। दो अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन शराबबंदी हटाने का ऐलान करने वाले प्रशांत किशोर ने महात्मा गांधी के विचारों के उलट काम किया है। 

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‘जन सुराज की सभा में पहुंचीं महिलाओं ने किया विरोध’ 
2 अक्टूबर को पटना के वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में पीके ने पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है, लेकिन पार्टी के गठन के साथ ही प्रशांत किशोर को बड़ा झटका लगा है। प्रशांत किशोर सरकार बनाने के बाद बिहार में जिस शराबबंदी कानून को हटाने की बात कर रहे हैं उसके समर्थन में बिहार की महिलाएं नहीं हैं। वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में जन सुराज की सभा में प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से महिलाएं भी पहुंचीं थीं। कार्यक्रम में पहुंची महिलाओं ने शराबबंदी के नीतीश कुमार के फैसले को फिर से अपना समर्थन दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्णय को सही ठहराते हुए महिलाओं ने कहा कि वे बिहार में कभी शराबबंदी खत्म नहीं होने देंगी। एक महिला ने कहा कि अगर प्रशांत किशोर ने शराबबंदी हटाई तो वह ढाक पर चली जाएंगी। कुछ महिलाओं ने बताया कि शराबबंदी के लागू होने से लोगों में डर बना हुआ है,अगर शराब पूरी तरह से चालू हो जाएगी तो महिलाओं का जीवन नर्क बन जाएगा, इसलिए वे कभी शराबबंदी चालू नहीं होने देंगी। साफ है कि बिहार की महिलाओं ने प्रशांत किशोर की शराबबंदी हटाने की सोच को सिरे से खारिज कर दिया है। 

‘महिलाओं की मांग पर नीतीश बाबू ने लागू की थी शराबबंदी’ 
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शुरू से ही महिलाओं के वोट पर कब्जा रहा है। कई बार खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ये बताया है कि उन्होंने महिलाओं की मांग पर ही बिहार में शराबबंदी कानून लागू किया है। यही वजह है कि शराबबंदी हटाने का ऐलान कर पीके बुरी तरह से फंस गए हैं। पीके की रैली में आई महिलाएं शराबबंदी का खुलकर समर्थन कर रहीं थीं। हालांकि हैरानी की बात ये थी कि पीके की रैली में आई महिलाओं को यह भी पता नहीं था कि प्रशांत किशोर कौन हैं और जन सुराज क्या है। कई महिलाओं ने कहा कि हमें मुखिया जी ने कहा है चलने के लिए, इस पर वे चली आई हैं। 

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‘प्रशांत किशोर ने अब अपना असली चेहरा दिखाया’ 
बिहार की परिवहन मंत्री शीला मंडल ने प्रशांत किशोर पर शराबबंदी के मुद्दे पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर शराबबंदी के फायदों से अनजान हैं और इसे हटाने की बात करके अपनी असली मानसिकता उन्होंने दिखा दी है। मंत्री ने दावा किया कि शराबबंदी से समाज में अमन-चैन बना हुआ है। शीला मंडल ने कहा कि गांधी जयंती के दिन शराबबंदी हटाने की बात कर प्रशांत किशोर ने अपनी असली मानसिकता को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर को इस बात की जानकारी नहीं है कि शराबबंदी से कितने घरों में खुशियां लौटी है। शीला मंडल ने कहा कि, ‘आज किसी चौराहे पर कोई भी व्यक्ति शराब पीकर उपद्रव करने या हुड़दंग का साहस नहीं कर सकता। प्रशांत किशोर जमीनी हकीकत से अनभिज्ञ हैं। शराबबंदी की अहमियत का उन्हें अंदाजा नहीं है’। 

‘पीके कैसे कर सकते हैं गांधी जी की तस्वीर के साथ शराब की वकालत’ 
जन सुराज के झंडे में प्रशांत किशोर महात्मा गांधी की तस्वीर लगाते हैं। दुनिया जानती है कि गांधी जी शराब के सेवन के घोर विरोधी थे लेकिन प्रशांत किशोर को गांधी जी की विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है। गांधी जी कहते थे कि, “शराब शैतान की खोज है,शराब पीने वालों से न केवल पैसे छीनती है बल्कि उनकी बुद्धि भी छीन लेती है”। ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि शराबबंदी का विरोध करने वाले पीके को क्या गांधी जी की तस्वीर को इस्तेमाल करने का नैतिक अधिकार है? हद तो ये हो गई कि गांधी जी के आदर्शों पर चलने की बात कहने वाला प्रशांत किशोर गांधी जयंती के दिन ही शराबबंदी खत्म करने की बात कर रहे हैं।

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साफ है कि दो अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन शराबबंदी का विरोध कर प्रशांत किशोर बुरी तरह से फंस गए हैं। शराबबंदी का विरोध करने की वजह से महिलाएं पीके से बुरी तरह से नाराज हो गईं हैं। कोई भी राजनीतिक दल आधी आबादी के समर्थन के बिना चुनावी अखाड़े में विरोधियों को टक्कर नहीं दे सकता है। इसलिए ये कहना सही होगा कि प्रशांत किशोर शराबबंदी के खिलाफ बोल कर अपने ही बनाए जाल में फंस गए हैं।


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Content Writer

Ramanjot

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