बिहार में जीविका दीदियों ने लगाए 3.39 करोड़ पौधे, हरियाली बढ़ाने में निभा रहीं अहम भूमिका

Tuesday, Mar 18, 2025-09:54 PM (IST)

पटना: बिहार में स्वरोजगार और पर्यावरण संरक्षण का एक अनूठा संगम देखने को मिल रहा है। जीविका दीदियों ने बीते पांच वर्षों में 3.39 करोड़ पौधे लगाकर न केवल हरियाली बढ़ाई बल्कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता का भी संदेश दिया। एक करोड़ से अधिक जीविका दीदियां इस मुहिम से जुड़ी हैं, जिन्होंने राज्य को अधिक हरा-भरा बनाने में अहम योगदान दिया है।

पर्यावरण संरक्षण की नई मिसाल

बिहार सरकार के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग और केंद्र सरकार की मनरेगा योजना के तहत 789 जीविका दीदियों ने दीदी की नर्सरी परियोजना के तहत पौधशालाएं विकसित की हैं। इनमें से 403 नर्सरी मनरेगा योजना और 310 नर्सरी वन विभाग के सहयोग से संचालित हो रही हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार लगातार पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान दे रही है और हरित आवरण को 17% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को पाने के लिए निजी पौधशालाओं का विस्तार सभी प्रखंडों में किया जा रहा है और किसानों एवं जीविका समूहों को इससे जोड़ा जा रहा है ताकि वे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।

महिला सशक्तिकरण और हरियाली की अनूठी कहानी

शिवहर जिले की रुबी देवी ‘दीदी की नर्सरी’ परियोजना से जुड़कर आत्मनिर्भर बनीं। पति के निधन के बाद आर्थिक संकट से जूझ रही रुबी देवी ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की योजना के तहत अपनी खुद की पौधशाला शुरू की और अब 20,000 से अधिक पौधे उगाती हैं। इससे उन्हें सालाना 1.5 से 2 लाख रुपये तक की आय होती है।

कटिहार जिले की रेविका टुडू ने पर्यावरण संरक्षण की एक अलग राह चुनी। उन्होंने बांस से बने शिल्प उत्पादों को बेचकर स्वरोजगार अपनाया और अपने समुदाय को भी इससे जोड़ा। पहले उनका परिवार शराब व्यवसाय में था, लेकिन अब वे बांस के कप, ट्रे, ग्लास और सुराही जैसे उत्पाद बना रही हैं। इससे उन्हें हर महीने 8 से 10 हजार रुपये की आमदनी हो रही है।

अररिया जिले की इंदु देवी ‘दीदी की रसोई’ चला रही हैं, जिससे उन्होंने अब तक 5.5 लाख रुपये का मुनाफा कमाया है। पति की मौत के बाद आर्थिक तंगी से जूझ रहीं इंदु देवी को जीविका से सहारा मिला। वे सदर अस्पताल अररिया में ‘दीदी की रसोई’ चला रही हैं और अब वे समाज में बाल विवाह, दहेज प्रथा और नशाखोरी के खिलाफ भी अभियान चला रही हैं।

हरियाली और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता बिहार

जीविका दीदियों का यह प्रयास पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और आर्थिक आत्मनिर्भरता का बेहतरीन उदाहरण है। उनकी यह पहल बिहार के हरित आवरण को बढ़ाने, जलवायु परिवर्तन से लड़ने और समाज में बदलाव लाने में मील का पत्थर साबित हो रही है।


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Ramanjot

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