बिहार: जल-जीवन-हरियाली अभियान बना पर्यावरण संरक्षण की मिसाल, 4 करोड़ से ज्यादा पौधे लगे
Wednesday, May 07, 2025-06:13 PM (IST)

पटना: बिहार सरकार की ओर से जल संरक्षण, पर्यावरण संतुलन और कृषि विकास को लेकर चलाया जा रहा “जल-जीवन-हरियाली” अभियान राज्य में हरियाली और जल स्रोतों के संरक्षण के लिए एक मजबूत पहल साबित हो रहा है। इस अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2 अक्टूबर 2019 को की थी। इसका मुख्य उद्देश्य जल संसाधनों का संवर्धन, पर्यावरण को हरा-भरा बनाना और कृषि को बढ़ावा देना है।
वित्तीय वर्ष 2025-26 में इस अभियान को और मजबूती देने के लिए योजना एवं विकास विभाग द्वारा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को 528.87 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है। इसमें से 462.87 करोड़ रुपये की राशि राज्य योजनाओं पर खर्च की जाएगी, जबकि शेष राशि केंद्र और राज्य हिस्से की केंद्रीय योजनाओं के लिए रखी गई है।
पिछले वर्ष 2024-25 में भी विभाग को 517.28 करोड़ रुपये का बजट मिला था, जिससे ‘हर खेत सिंचाई का पानी’, वृक्षारोपण, मृदा संरक्षण और गारलैंड ट्रेंच जैसी योजनाएं चलाई गईं। जल जीवन हरियाली अभियान के अंतर्गत विभाग के द्वारा वन एवं वन से बाहर भूमि पर व्यापक पैमाने पर वृक्षारोपण कराया जा रहा है।
इसी दौरान मुख्यमंत्री निजी पौधशाला और कृषि वानिकी जैसी योजनाओं के जरिए बड़े पैमाने पर पौधारोपण हुआ। वर्तमान में चतुर्थ कृषि रोड मैप (2023-28) के तहत 20 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है। वर्ष 2024-25 में 4.68 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें से अब तक 4.14 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं।
कृषि वानिकी(अन्य प्रजाति)योजना के अंतर्गत किसानों द्वारा 41.50 लाख पौधों के लक्ष्य के विरुद्ध 36.20 लाख पौधों का रोपण हो चुका है। इसी प्रकार कृषि वानिकी (पॉपलर) योजना अंतर्गत 1.82 लाख ईटीपी (अर्ली ट्री प्लांटेशन) के लक्ष्य के विरुद्ध 1.48 लाख उपलब्धि रही है। जीविका दीदियों के माध्यम से 80.34 लाख पौधों के लक्ष्य के विरुद्ध 81.49 लाख पौधे लगाए गए हैं। पौधों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्य में 246 विभागीय पौधशालाएं स्थापित हैं,जिनकी उत्पादन क्षमता आठ करोड़ से अधिक है। इसके अतरिक्त मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना के अंतर्गत 242 किसान एवं 303 जीविका पौधशालाएं स्थापित है। यहां एक करोड़ नौ लाख पौधे उत्पादित होंगे।