Jharkhand लोकसभा चुनाव का पहला चरण, खूंटी सीट से अर्जुन मुंडा और कालीचरण मुंडा के बीच महामुकाबला

Monday, May 13, 2024-09:42 AM (IST)

Khunti: झारखंड के पहले चरण की 4 लोकसभा सीटों पर मतदान शुरू हो गया है। इन 4 सीटों में सिंहभूम, खूंटी, लोहरदगा व पलामू सीट शामिल है। झारखंड में प्रथम चरण के चुनाव में कुल 45 प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला होगा, जिसमें पलामू में 09, लोहरदगा में 15, खूंटी में 7 और सिंहभूम में 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इसके अलावा जिन दिग्गजों की किस्मत का फैसला होने वाला है, उसमें केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, काली चरण मुंडा, सुखदेव भगत, समीर उरांव, चमरा लिंडा, गीता कोड़ा, जोबा मांझी, बीडी राम आदि शामिल हैं। वहीं, खूंटी सीट से भाजपा के उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और इंडिया गठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा के बीच कांटे की टक्कर है।

अर्जुन मुंडा के पास केंद्र सरकार में जनजाति मंत्रालय का है प्रभार
2019 की ही तरह खूंटी सीट से एक बार फिर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं तो कांग्रेस ने भी पिछले चुनाव में उम्मीदवार रहे कालीचरण मुंडा को ही टिकट दिया है। अर्जुन मुंडा के पास केंद्र सरकार में जनजाति मंत्रालय का प्रभार है और उनकी एक बड़े आदिवासी नेता के रूप में पहचान है। वह झारखंड के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। खूंटी लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें आती हैं। इनके नाम खरसावां, तमाड़, तोरपा, खूंटी, सिमडेगा और कोलेबिरा हैं। यह सभी सीटें अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए आरक्षित हैं।

कालीचरण मुंडा 2 बार 1992 और 1995 में तमाड़ से विधायक रहे
इंडिया गठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा के पिता टी. मुचिराय मुंडा की पहचान झारखंड के गांधी के रूप में थी। कालीचरण मुंडा खूंटी के मार्टिन बंगला में एक खपरैल मकान में रहते हैं। इसी मकान से इस बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे। टी. मुचिराय मुंडा बिहार सरकार में आठ बार मंत्री और खूंटी और तमाड़ से तीन-तीन बार विधायक रह चुके हें। 1967 से 1992 के बीच टी. मुचिराय मुंडा विधायक रहे, लेकिन वे अपने परिवार के पक्का मकान नहीं बना सके। वहीं कालीचरण मुंडा दो बार 1992 और 1995 में तमाड़ से विधायक रहे। कांग्रेस प्रत्याशी का कहना है कि केंद्र में पांच वर्षों तक मंत्री रहने के बावजूद अर्जुन मुंडा खूंटी संसदीय क्षेत्र के लिए किसी बड़ी विकास योजनाओं को सरजमीं पर उतारने में विफल रहे। आदिवासी समाज की आकांक्षाओं को सामने रख कोई स्पेसिफिक योजना सामने नहीं आई। 


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Khushi

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