"हमको भी तुम्हारे पास आना है"...निधन से पहले शारदा सिन्हा की मैना से बातचीत, बेटे अंशुमन ने शेयर किया मां के अंतिम समय का वीडियो

Tuesday, Nov 19, 2024-12:45 PM (IST)

Sharda Sinha Viral Video: बिहार की लोक गायिका शारदा सिन्हा का 5 नवंबर को निधन हो गया था। उनके निधन के बाद से परिवार सदमे में है। इसी बीच बेटे अंशुमान सिन्हा ने अपनी मां के अंतिम समय की घटनाओं का वर्णन किया है। अंशुमन ने सोशल मीडिया पर शारदा सिन्हा का एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वे एक पक्षी से बात करते हुए नजर आ रही हैं। ये वीडियो उनके निधन से 54 घंटे पहले 3 नवंबर का है। 

अंशुमान ने मां के अंतिम समय की घटना का वर्णन करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, "5 नवंबर 2024 को मां ने 9 बज कर 20 में पर अंतिम सांसे लीं। इस दुर्घटना के 54 घंटे पूर्व 3 नवंबर को एक घटना हुई थी, जब वे होशो हवास में थीं, दर्द में थीं, पर वे ठीक थीं और हमें यह लग रहा था कि वो रिकवरी के रास्ते पर हैं। पर वो खाना नहीं खाती थीं, और हमें पूछती रहती थीं कि "मैं किसके लिए खाऊं? " इस प्रश्न के भाव ये थे कि उनको चूंकि अपना शरीर अपना महसूस हो नहीं होता था उन्हें लगने लगा था यह खत्म हो चुका है, तब ऐसी अवस्था में वे किस शरीर के लिए खाना खाएं?"



अंशुमन ने आगे लिखा, "5 नवंबर को शाम 4.20 मिनट पर हॉस्पिटल रूम (वातानुकूलित) की खिड़की पर जो कि सील पैक्ड खिड़की थी, एक मैना (चिड़ियां) आ कर बैठी। मां की नजरें उससे मिली तो वो अनायास ही उससे वार्तालाप करने लगीं। जबकि उन दिनों हम इस बात से परेशान थे कि मां कुछ बोलती क्यों नहीं आज कल! हमसे भी कोई ज्यादा बात चीत नहीं कर पाती थीं। उस मैना से उन्होंने इस वीडियो में ये कहा है कि हमको भी तुम्हारे पास आना है। फिर अचानक जैसे उनकी चेतना में परिवर्तन आया, उन्हें उनकी पोती का स्मरण होने लगा। और पोती को वो मिस कर रहीं थीं, इसलिए उसी का अनुकरण करने लगीं। मेरी बेटी चिड़ियां को चियां बुलाती है अभी जुबान टूटी नहीं है उसकी। गौरतलब हो कि मिमिक्री या कैरीकेचर भी मां के छुपे हुए कई गुणों में से एक था। बस हमें ये नहीं पता था कि हम उनका अंतिम मिमिक्री देख रहे हैं। फिर उनकी चेतना में पुनः परिवर्तन आता है और वे अपनी बेटी वंदना से बोलती हैं उससे पूछो न वंदना क्यों आई है (मैना) ? इस दौरान मैना निरंतर अपनी बात मां से कहती चली गई। इस जगह पर मुझे मां की वो पंक्तियां याद आती हैं जो वो अक्सर कहा करती थीं - "न जाने बादलों के बीच क्या साज़िश हुई, मेरा ही घर मिट्टी का था मेरे घर ही बारिश हुई।"  

इस वीडियो में प्रकृति से उनका प्रेम साफ झलकता है। बालपन के ग्रामीण परिवेश की स्मृतियां उनके मानस पटल पर मुखरित हो रही हैं। मां एक गाना गाया करती थीं जो वो रिकॉर्ड करना चाहती थीं पर हो नहीं पाया। वो गीत था " मैना के बच्चा तूतुहिया रे दु गो जामुन खसो, कांचे गिरैबै त मारबो रे, दु गो पाकल गिरो। मुझे वो गीत और मां का बच्चों जैसा बात करने के बीच कुछ संबंध नजर आ रहा था। तुरंत ही मैने मोबाइल से रिकॉर्ड कर लिया था। इस घटना में दैवीय तत्व ढूंढना कोई मुश्किल की बात नहीं है। ईश्वर से उन्होंने प्रार्थना की कि उन्हें अब ले जाया जाए , उन्होंने मैना से इस वार्तालाप में आग्रह भी किया और बताया भी कि उन्हें अब उनके साथ ही उड़ चलना है। साक्षात देवी के सानिध्य में जीवन कटा हम परिजनों का, अब उनका नहीं होना हृदय को चीरता है !


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Content Writer

Ramanjot

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