झारखंड की कोयला खदानों में हड़ताल का नहीं दिखा विशेष प्रभाव, श्रमिक संगठनों ने किया प्रदर्शन

Friday, Jul 03, 2020-01:50 PM (IST)

रांचीः झारखंड में कोल इंडिया लिमिटेड की कंपनियों सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) और भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) की कोयला खदानों में निजी क्षेत्र के माध्यम से वाणिज्यिक खुदाई की अनुमति के केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ श्रमिक संघों द्वारा तीन दिवसीय हड़ताल का विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है। वहां आम दिनों की तरह कोयला के खनन और ढुलाई का काम जारी है।

कोयला कंपनियों के इस दावे के विपरीत श्रमिक संगठनों ने कहा कि उन्होंने अनेक खदान क्षेत्रों में धरना-प्रदर्शन किया जिससे कोयला उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है। रांची और आसपास के क्षेत्रों के कमांड क्षेत्र में कोयला खनन का काम करने वाली कोल इंडिया की कंपनी सीसीएल के प्रबंध निदेशक गोपाल सिंह ने बताया कि सीसीएल के कमांड क्षेत्र में आज से प्रारंभ हुई तीन दिवसीय हड़ताल का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है। वहां कोयला खनन और ढुलाई का काम आम दिनों की तरह लगभग सामान्य है।

संगठनों ने बताया कि सभी कोयला खदानों में सुबह छह बजे की पाली में श्रमिक अपने समय से पहुंचे और उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर काम प्रारंभ किया। इस बीच, बीसीसीएल के जनसंपर्क विभाग ने भी अपने बयान में कहा कि उनके कमांड क्षेत्र और ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की कोयला खदानों में आम दिनों की ही तरह कोयला खनन तथा ढुलाई का काम जारी है। कहीं से भी श्रमिक संघों द्वारा बुलाई गई हड़ताल का कोई प्रभाव नहीं है। दूसरी तरफ, सीटू से जुड़ी राष्ट्रीय प्रगतिशील वर्कर्स यूनियन के नेता राजेन्द्र सिंह चंदेल ने दावा किया कि उनके श्रमिकों की हड़ताल के चलते कोयला खनन और ढुलाई का काम प्रभावित हुआ है।

उन्होंने बताया कि उनके संगठन के बैनर तले श्रमिकों ने केन्द्र सरकार के फैसले के खिलाफ रामगढ़ में बड़ा प्रदर्शन किया। उन्होंने दावा किया कि हड़ताल के चलते बीसीसीएल की खदानों में कोयला उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ा है। बुधवार को केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ बातचीत विफल होने के बाद अधिकतर श्रमिक संघों ने आज से प्रारंभ होने वाली अपनी तीन दिन की हड़ताल पर आगे बढ़ने का फैसला किया।


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Edited By

Diksha kanojia

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