झारखंड जनजातीय महोत्सव के मौके पर बोले शिबू सोरेन- हम अपनी भाषा-संस्कृति को बढ़ा रहे आगे

8/10/2022 10:43:55 AM

 

रांचीः झारखंड राज्य समन्वय समिति के अध्यक्ष-सह-सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने कहा कि राज्य गठन के बाद पहली बार भव्य रुप से 'झारखंड जनजातीय महोत्सव-2022 मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सामाजिक शक्तियां समाज के अंदर समाज के प्रति सदैव सकारात्मक सोच के साथ विकास के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि आज खुशी की बात है कि हम लोग अपनी भाषा-संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं। देश में जनजातीय समाज की अलग पहचान है। अपनी पहचान और विरासत को संरक्षित करना हम सभी का नैतिक कर्तव्य है।
PunjabKesari

इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस के शुभ अवसर पर सर्वप्रथम मैं बाबा तिलका मांझी, भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धो-कान्हो, राणा पूंजा, तेलंगा खरिया, पोटो हो, फूलो-झानों, पा तोगान संगमा, जतरा भगत, कोमारम भीम, भीमा नायक, कंटा भील, बुधु भगत जैसे वीर नायकों को नमन करता हूँ। मुख्यमंत्री ने रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में आयोजित 'झारखंड जनजातीय महोत्सव-2022' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हम आदिवासियों की कहानी लम्बे संघर्ष एवं कुर्बानियों की कहानी है। संघर्षों की मूर्ति हम अपने महापुरुषों और वीरांगनाओ पर गर्व करते हैं। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर मैं बाबा साहेब डॉ.भीम राव अंबेदकर एवं डॉ.जयपाल सिंह मुंडा को भी विशेष रूप से याद करना चाहूंगा। आपके प्रयासों से आदिवासी समाज के हितों की रक्षा के लिए भारतीय संविधान में विशेष प्रावधान हो पाए।      
PunjabKesari

सोरेन ने कहा कि आज जब मैं आपसे इस मंच के माध्यम से मुखातिब हो रहा हूँ तो बता दूं कि मेरे लिए मेरी आदिवासी पहचान सबसे महत्वपूर्ण है, यही मेरी सच्चाई है। आज हम एक ढंग से अपने समाज के पंचायत में खड़े होकर बोल रहे हैं। आज हम अपनी बात करने के लिए खड़े हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सच है कि संविधान के माध्यम से अनेकों प्रावधान किये गए हैं जिससे कि आदिवासी समाज के जीवन स्तर में बदलाव आ सके। परन्तु, बाद के नीति निर्माताओं की बेरुखी का नतीजा है कि आज भी देश का सबसे गरीब, अशिक्षित, प्रताड़ति, विस्थापित एवं शोषित वर्ग आदिवासी वर्ग है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज आदिवासी समाज के समक्ष अपनी पहचान को लेकर संकट खड़ा हो गया है। क्या यह दुर्भाग्य नहीं है कि जिस अलग भाषा संस्कृति-धर्म के कारण हमें आदिवासी माना गया उसी विविधता को आज के नीति निर्माता मानने के लिए तैयार नहीं है? संवैधानिक प्रावधान सिर्फ चर्चा का विषय बन के रह गये हैं।
PunjabKesari

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम आदिवासियों के लिए अपनी जमीन, अपनी संस्कृति-अपनी भाषा बहुत महत्वपूर्ण है। विकास के नए अवतार से इन सभी चीजों को ख़तरा है। आखिर एक संस्कृति को हम कैसे मरने दे सकते हैं ? विभिन्न जनजातीय भाषा बोलने वालों के पास न तो संख्या बल और न ही धन बल। उदाहरण के लिए हिन्दू संस्कृति के लिए असुर हम आदिवासी ही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिसके बारे में बहुसंख्यक संस्कृति में घृणा का भाव लिखा गया है, मूर्तियों के माध्यम से द्वेष दर्शाया गया है, आखिर उसका बचाव कैसे सुनिश्चित होगा इस पर हमें सोचना होगा। धन बल भी होता तो जैन/पारसी समुदाय जैसा अपनी संस्कृति को बचा पाते हम। ऐसे में विविधता से भरे इस समूह पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Diksha kanojia

Recommended News

Related News

static