झारखंड में रेशम की वैज्ञानिक खेती से अच्छी आमदनी कर रहीं ग्रामीण महिलाएं

1/31/2022 2:18:39 PM

 

रांचीः झारखंड में चक्रधरपुर के मझगांव के सुदूरवर्ती गांव की निवासी इंदिरावती तिरिया रेशम के धागों को बनाने के लिए कोकून की टेस्टिंग माइक्रोस्कोप से कर अपने जीवन में चमक बिखेर रही है।

इंदिरावती आज कहती हैं, मैंने तो कभी माइक्रोस्कोप का नाम भी नहीं सुना था, लेकिन आज मैं उसका बखूबी टेस्टिंग में इस्तेमाल कर लेती हूं। इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है। तसर खेती के अलावा हमारे परिवार के पास कमाई का और कोई साधन नहीं है। हम रेशम खेती पर ही पूरी तरह से निर्भर हैं। मुझे कभी लगा नहीं था कि तसर मेरे लिए इतना फायदेमंद साबित होगा। मुझे सरकार द्वारा प्रशिक्षण मिला। आज सालाना 1, 69,000 रुपये तक की आमदनी कर रही हूं। इंदिरावती जैसी करीब 18 हजार महिलाएं अब बदलते समय के साथ वैज्ञानिक तरीके से रेशम की खेती कर अपनी आजीविका को नया आयाम दे रही हैं।

जेएसएलपीएस सीईओ नैन्सी सहाय ने सोमवार को बताया कि हेमंत सोरेन के निर्देश के बाद राज्य के वनोपजों से आजीविका सशक्तिकरण के जरिए ग्रामीण परिवारों की आमदनी बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। इस ओर कदम बढ़ाते हुए प्राकृतिक रूप से तसर की खेती के लिए उपयुक्त झारखंड में सखी मंडल की दीदियों के जरिए रेशम की खेती को बड़े स्तर पर बढ़ावा देकर सुदूर ग्रामीण परिवारों की आजीविका को सशक्त किया जा रहा है।

कभी रेशम की खेती में होने वाले घाटे से जो परिवार तसर की खेती करना छोड़ चुके थे, वेद आज वैज्ञानिक तरीके से तसर की खेती कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं और दूसरों को भी इससे जोड़ रहे हैं। सहाय ने बताया कि झारखड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी द्वारा क्रियान्वित रेशम परियोजना के जरिए बदलाव की यह कहानी लिखी जा रही है। वनों से भरपूर झारखण्ड के सुदूर जंगली इलाकों में वनोपजों को ग्रामीण परिवार की आजीविका से जोड़ने की मुख्यमंत्री की यह पहल सफल साबित हो रही है।


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Content Writer

Diksha kanojia

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