मूक-बधिर श्रेणी में बोलने वाले अभ्यार्थी योगेंद्र के पिता ने सभी आरोपों को बताया बेबुनियाद, कहा- बोल सकता है, लेकिन...

Monday, Jul 15, 2024-02:17 PM (IST)

रांची: जेएसएससी पीजीटी परीक्षा में मूक-बधिर श्रेणी में बोल सकने वाले अभ्यार्थी योगेंद्र प्रसाद के पिता ने उस पर लगाए जा रहे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया।अभ्यर्थी योगेंद्र के पिता ने कहा कि उनका बेटा बधिर है, उसे सुनने में परेशानी होती है, लेकिन वह बोल सकता है।

योगेंद्र के पिता ने कहा कि उनके बेटे ने बधिर होने का प्रमाण पत्र देकर नौकरी पाई है, लेकिन उनके बेटे पर लगाए जा रहे आरोप उनकी समझ से परे हैं। वह यह नहीं समझ पा रहे हैं कि डॉक्टर का सर्टिफिकेट देने के बाद भी उस पर इस तरह के आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं। वहीं, योगेंद्र की पत्नी ने बताया कि उनके पति सुनने में दिक्कत है। जिसके चलते वह कान में मशीन भी लगाते हैं। इसी आधार पर उन्हें नौकरी मिली है। इसके बावजूद उनके पति पर गलत तरीके से नौकरी पाने का आरोप लगाया जा रहा है। इसके चलते उनके परिवार की खुशियां गायब हो गई हैं।

बता दें कि सीएम हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को रांची के धुर्वा स्थित प्रभात तारा मैदान में पीजीटी शिक्षकों को नियुक्त पत्र सौंपा था। इसमें एक मूक-बधिर कैटेगरी का भी अभ्यर्थी शामिल था, लेकिन चयनित मूक-बधिर अभ्यर्थी बोलने और सुनने वाला निकल गया। मामला प्रकाश में आने के बाद प्रशासनिक हलके में हड़कंप मच गया है। मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के बाद सरकार ने देवघर डीसी को 24 घंटे के अंदर जांच कर रिपोर्ट तलब किया है। जानकारी के मुताबिक उक्त अभ्यर्थी देवघर जिला से है। वहीं, इस पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत पर आरोप लगाया है।

मरांडी ने कहा कि 2 दिन पहले हेमंत सोरेन के द्वारा जिन लोगों को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं, उसमें बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा की खबर सामने आ रही है। मूक-बधिर के लिए आरक्षित सीट पर बोलने वाले व्यक्ति को नियुक्त कर दिया गया है। मरांडी ने कहा कि राज्य में सिर्फ पैसों का खेल चल रहा है। सरकार में सेटिंग अच्छी हो, तो मूक-बधिर भी बोलने लगता है। मरांडी ने आगे कहा, इस फर्जीवाड़ा में अभ्यर्थी के साथ-साथ सर्टिफिकेट जारी करने वाले अधिकारी, काउंसलिंग टीम के सदस्य, परीक्षा आयोग और सत्ताधारी दलों की भी सहभागिता है। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार की पैसों की भूख इतनी बढ़ गई है कि अब एक असहाय, दिव्यांग की नौकरी को भी बेचा जा रहा है।


 


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Khushi

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