बिहार में महिलाएं हर्बल गुलाल बनाकर कर रही खूब कमाई, इन प्राकृतिक चीजों का कर रही इस्तेमाल
Wednesday, Feb 12, 2025-01:42 PM (IST)
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जमुई: बिहार में जमुई जिले के लक्ष्मीपुर प्रखंड के नेचर विलेज मटिया ने नारी सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक नई मिसाल कायम की है, जिसके तहत महिलाएं हर्बल गुलाल बनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं। लक्ष्मीपुर प्रखंड में हर्बल गुलाल उत्पादन केंद्र की स्थापना से ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक मजबूती मिल रही है। साथ ही लोगों को शुद्ध और केमिकल-फ्री गुलाल भी उपलब्ध हो रहा है।
150 क्विंटल हर्बल गुलाल बनाने का लक्ष्य
महिलाओं ने बताया कि इसमें पालक, चुकंदर, संतरा और गेंदा फूल जैसे प्राकृतिक अवयवों का उपयोग किया जाता है। पालक और अन्य पत्तियों से हरा रंग, संतरा और गेंदा फूल से नारंगी रंग का गुलाल तैयार होता है। एक रंग का गुलाल तैयार करने में दो दिन का समय लगता है। पिछले वर्ष छह से आठ क्विंटल हर्बल गुलाल का उत्पादन किया गया था, जिसकी बढ़ती मांग को देखते हुए इस साल 150 क्विंटल उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इस कार्य में महिलायें (नेचर दीदी) सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं, जिससे उनके जीवन में आर्थिक स्थिरता आ रही है।
हर्बल गुलाल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने की योजना
नेचर विलेज मटिया के संस्थापक और संरक्षक और लक्ष्मीपुर के पूर्व अंचलाधिकारी निर्भय प्रताप सिंह ने बताया कि यहां तैयार गुलाल शत प्रतिशत केमिकल-फ्री है, जो स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह सुरक्षित रहेगा। उन्होंने कहा कि इस बार जिले में‘प्रकृति होली'मनाई जाएगी, जिसका मुख्य केंद्र नेचर विलेज मटिया होगा। इसके अलावा आकर्षक पैकेजिंग के जरिए इस हर्बल गुलाल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने की योजना है। इससे ग्रामीण महिलाओं को एक सशक्त मंच मिलेगा और पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा।
बाजारों में नेचर विलेज मटिया के बनाए रंगों की खूब मांग
नेचर विलेज मटिया की यह पहल आत्मनिर्भर गांव, जैविक उत्पादों के बढ़ावे और सुरक्षित होली के लिए एक शानदार कदम है। यह न केवल जिले का गौरव बढ़ा रहा है, बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रहा है। फिलहाल सभी महिलाएं होली के लिए हर्बल गुलाल तैयार कर रही है। फिलहाल इनकी बनाई रंगों की मांग जिला भर के बाजारों में खूब हो रही है।