पटना में BPSC अभ्यर्थियों पर पुलिस का लाठीचार्ज, वाटर कैनन से भगदड़, प्रशांत किशोर धरने पर बैठे
Monday, Dec 30, 2024-03:13 AM (IST)
Patna News: बीपीएससी अभ्यर्थियों के प्रदर्शन ने पटना में भारी बवाल का रूप ले लिया। रविवार को गांधी मैदान से मुख्यमंत्री आवास की ओर निकले मार्च को पुलिस ने रोका, जिसके बाद जेपी गोलंबर पर धरने पर बैठे छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। हालात बिगड़ने पर वाटर कैनन से पानी की बौछार कर छात्रों को खदेड़ा गया।
प्रदर्शन का कारण
13 दिसंबर को हुई 70वीं बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा में धांधली के आरोपों के बाद अभ्यर्थी परीक्षा रद्द करने और नए सिरे से आयोजित करने की मांग कर रहे हैं। पटना के बापू परीक्षा परिसर में अनियमितताओं के आरोपों के चलते आयोग ने 4 जनवरी को एक केंद्र पर दोबारा परीक्षा आयोजित करने का नोटिफिकेशन जारी किया, लेकिन अभ्यर्थी इसे खारिज कर पूरी परीक्षा रद्द करने पर अड़े हैं।
घटनाक्रम
- गांधी मैदान से मार्च कर रहे छात्रों को पुलिस ने जेपी गोलंबर पर रोका।
- छात्रों ने बेरिकेटिंग तोड़ने का प्रयास किया, जिससे अफरा-तफरी मच गई।
- पुलिस ने स्थिति संभालने के लिए लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया।
- प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के बावजूद जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने गांधी मूर्ति के पास धरना दे दिया।
प्रशांत किशोर का बयान
प्रशांत किशोर ने कहा, "जब तक छात्रों की मांग नहीं मानी जाएगी, मैं यहीं धरने पर बैठा रहूंगा। छात्रों का संघर्ष न्यायोचित है, और सरकार को उनकी मांगें सुननी चाहिए।"
पुलिस की तैयारी
डाक बंगला चौराहे और गांधी मैदान के आसपास भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। वाटर कैनन और अन्य सुरक्षा उपकरणों के साथ पुलिस हर स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
अभ्यर्थियों का कहना
अभ्यर्थियों का आरोप है कि 70वीं बीपीएससी परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है, जिससे लाखों छात्रों का भविष्य खतरे में है। वे परीक्षा रद्द करने और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं।
स्थिति गंभीर
प्रदर्शन के चलते पटना के कई इलाकों में यातायात बाधित हुआ। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है।
आगे की कार्रवाई
अभ्यर्थियों की मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। प्रदर्शनकारी गर्दनीबाग में धरना देने की योजना बना रहे हैं, जबकि प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित रखने के लिए अतिरिक्त बल तैनात कर दिया है।
निष्कर्ष
यह प्रदर्शन बिहार में प्रशासन और छात्रों के बीच टकराव का प्रतीक बन गया है। छात्रों की मांगें और सरकार की प्रतिक्रिया आने वाले दिनों में राजनीतिक और सामाजिक माहौल को प्रभावित कर सकती हैं।