बिहार में आई कृषि क्रांति! आधुनिक तकनीक और सरकारी योजनाओं से बदली खेती की तस्वीर
Sunday, Oct 05, 2025-08:46 PM (IST)

पटना:पिछले करीब 20 वर्षों में बिहार ने कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रगति दर्ज की है। राज्य सरकार की योजनाबद्ध नीतियों, आधुनिक तकनीक के समावेश और किसानों को केंद्र में रखकर बनाई गई रणनीतियों के चलते बिहार की कृषि प्रणाली पारंपरिक ढांचे से निकलकर अब एक आधुनिक और लाभकारी प्रणाली में तब्दील हो गई है।
कृषि के क्षेत्र में आधुनिकता का ताजा उदाहरण राज्य सरकार द्वारा डिजिटल कृषि निदेशालय का गठन है। अपने तरह का यह देश का पहला निदेशालय है। इसके माध्यम से कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ रियल-टाइम में किसानों तक पहुंचेगा। डिजिटल क्रॉप सर्वे, उपग्रह आधारित आंकड़े, ड्रोन तकनीक, मोबाइल एप्स और ई-गवर्नेंस टूल्स के जरिए अब किसानों को और भी सटीक, तेज और पारदर्शी सेवाएं मिलेंगी। कृषि में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से बिहार में कृषि उत्पादन बढ़ा है।
कृषि रोड मैप से बदली खेती की तस्वीर
बिहार में कृषि रोड मैप के अंतर्गत चल रही योजनाओं ने अब खेती की तस्वीर बदल दी है। राज्य सरकार ने बीते करीब 20 वर्षों में किसानों को उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया, जिसका असर मक्का, चावल, गेहूं और अन्य खाद्यान्नों के उत्पादन में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। मक्का की खेती में तो शत-प्रतिशत बीज प्रतिस्थापन हो चुका है, जिससे इसके उत्पादन में 293.36 प्रतिशत की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2004-05 में जहां मक्का का उत्पादन 14.91 लाख मीट्रिक टन था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 58.65 लाख मीट्रिक टन हो गया।
धान और गेहूं के उत्पादन में भी क्रमशः 262.78 प्रतिशत और 122.84 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कुल मिलाकर, राज्य का खाद्यान्न उत्पादन वर्ष 2004-05 के 79.06 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2023-24 में 231.15 लाख मीट्रिक टन हो गया है, जो कि 192.37% की वृद्धि है। वहीं प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में भी 179.06% की बढ़ोतरी हुई है।
आधुनिक यंत्रों के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही सरकार
बिहार में कृषि क्षेत्र के तेज विकास का एक प्रमुख कारण राज्य सरकार की तरफ से आधुनिक कृषि यंत्रों को बढ़ावा देना है। राज्य सरकार कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 75 प्रकार के कृषि यंत्रों पर 40 प्रतिसाद से 80% तक अनुदान दे रही है। अब तक 28 लाख से अधिक यंत्र किसानों के बीच वितरित किए जा चुके हैं। साथ ही, कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना से छोटे किसानों को किराए पर यंत्र मिलना आसान हुआ है।