नए Labour Code का बड़ा एलान: वेतन, ग्रेच्युटी और ओवरटाइम के नियम बदले, क्या पड़ेगा असर?

Saturday, Nov 22, 2025-05:03 PM (IST)

New Labour Code 2024: केंद्र सरकार ने देश के श्रम कानूनों में दशकों बाद सबसे व्यापक सुधार करते हुए 21 नवंबर से नए Labour Codes लागू कर दिए हैं। सरकार ने पुराने 29 श्रम कानूनों को समाप्त कर दिया है और उनकी जगह चार नए लेबर कोड लागू किए हैं। इसे Atmanirbhar Bharat Reform का अहम हिस्सा माना जा रहा है।

सरकार का दावा है कि इन नए बदलावों से देश की रोजगार व्यवस्था, उद्योगों का संचालन और कामगारों की सुरक्षा—तीनों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। नए प्रावधानों से लगभग 40 करोड़ कामगारों को पहली बार Social Security Coverage मिलने जा रहा है, जो भारत के श्रम बाजार में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

पुराने कानून हुए खत्म, नए लेबर कोड में क्या है खास

देश में लंबे समय से लागू श्रम कानून 1930 से 1950 के बीच के थे, जिन्हें समय के साथ पुराना और अप्रासंगिक माना जाता रहा। इन पुराने कानूनों में Gig Workers, Platform Workers, Migrant Workers जैसे आधुनिक कार्य-प्रकारों की कोई परिभाषा मौजूद नहीं थी। नए लेबर कोड लागू होने के साथ ही ये सभी पुराने 29 कानून अब अप्रभावी हो चुके हैं।

हर कर्मचारी को Appointment Letter अनिवार्य

नए लेबर कोड के मुताबिक, अब देश में किसी भी कर्मचारी को भर्ती करते समय Appointment Letter देना अनिवार्य होगा। साथ ही देशभर में Minimum Wage का दायरा सभी श्रमिकों पर लागू होगा, जिससे किसी भी कर्मचारी को जीवन-यापन के लायक वेतन सुनिश्चित किया जा सके। समय पर वेतन भुगतान भी अब कानूनी रूप से अनिवार्य कर दिया गया है।

Gig Workers और Aggregators को मिली आधिकारिक पहचान

पहली बार लेबर कोड में Platform Work, Aggregators और सभी Gig Workers को कानूनी पहचान दी गई है। इन कामगारों को अब Social Security Benefits मिलेंगे।
इसके लिए Aggregator कंपनियों को अपने वार्षिक टर्नओवर का 1-2% योगदान करना होगा। नए कोड में फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को भी स्थायी कर्मचारियों जिते अधिकार दिए गए हैं—जैसे छुट्टी, चिकित्सा सुविधाएं और सिर्फ एक साल बाद Gratuity का अधिकार।

मीडिया, खदान और डिजिटल वर्कर्स भी सुरक्षा के दायरे में

नए नियमों में बागान मजदूर, डिजिटल मीडिया वर्कर्स, ऑडियो-विजुअल कर्मचारी, डबिंग आर्टिस्ट, स्टंट पर्सन, और खदान मजदूरों को भी शामिल किया गया है।
खतरनाक उद्योगों में काम करने वाले श्रमिकों की On-Site Safety Monitoring के मानक भी तय किए गए हैं। साथ ही IT, ITES, पोर्ट सेक्टर और Export Industry के कर्मचारियों के लिए 7 तारीख तक वेतन भुगतान का प्रावधान अनिवार्य किया गया है।

Labour Dispute समाधान और उद्योगों को बड़ी राहत

लेबर कोड में विवादों के तेजी से समाधान के लिए दो सदस्यीय Industrial Tribunal बनाए जाएंगे। कंपनियों के लिए Single Registration, Single License और Single Return System लागू हुआ है, जिससे paperwork काफी कम होगा। 500 से अधिक कर्मचारियों वाली यूनिट्स में सुरक्षा समितियां अनिवार्य होंगी, जबकि छोटी यूनिट्स के लिए अनुपालन का बोझ घटाया गया है।

सरकार बोली—नए नियम बदलती अर्थव्यवस्था के अनुरूप

श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने नए लेबर कोड को “कामगारों के कल्याण के लिए ऐतिहासिक कदम” बताया। उन्होंने कहा कि इससे श्रमिकों की Minimum Wage, Social Security, और Employment Conditions मजबूत होंगे। सरकार का कहना है कि पुराने कानून नई अर्थव्यवस्था और नए रोजगार मॉडल के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे थे, जबकि नए लेबर कोड दोनों—कामगार और उद्योग—को मजबूती देंगे।
 


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Content Writer

Ramanjot

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