बिहार का कुली नंबर 1 धर्मा यादव, जो साथ लेकर चलते हैं 2-2 बॉडीगार्ड, जानिए क्या है इनकी कहानी?
Friday, Sep 22, 2023-02:42 PM (IST)

पटना (अभिषेक कुमार सिंह): 80 के दशक में अमिताभ बच्चन की फिल्म कुली आई थी। इस फिल्म में कुली की भूमिका को सिने स्टार अमिताभ बच्चन ने बखूबी निभाया था। उसके बाद 90 के दशक में गोविंदा की फिल्म आई थी जिसका नाम था कुली नंबर 1। उस फिल्म में भी गोविंदा ने कुली की भूमिका को सिने पर्दे पर बखूबी उकेरा था। आज कल फिर देश में कुली की चर्चा तेज है... वजह है कांग्रेस नेता राहुल गांधी, जो दिल्ली के आनंद बिहार स्टेशन पर कुलियों के बीच जाते हैं और लोगों का सामान ढोते हैं। इन सबके बीच आपको पटना रेलवे स्टेशन के ऐसे कुली से मिलाने जा रहे हैं जो रियल लाइफ में हीरो हैं और इनके कारनामे की वजह से सरकार ने इन्हें दो-दो सुरक्षाकर्मी मुहैया करवाया हैं।
PM मोदी के लिए जान पर खेल गया था धर्मा यादव
सबसे पहले जानते हैं कि आखिर इस कुली को सुरक्षा क्यों मुहैया करवाना पड़ा। पटना जंक्शन पर तैनात कुली का नाम धर्मा यादव है जो मूलतः आरा का रहने वाला है। बात 27 अक्टूबर 2013 की है। उसी दिन पटना के गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली थी। उस रैली में गांधी मैदान में आधा दर्जन से अधिक बम विस्फोट हुए थे और कई बम की बरामदगी भी हुई थी। गांधी मैदान में विस्फोट के पहले सुबह 9:30 बजे पटना जंक्शन के 10 नंबर प्लेटफार्म के बाथरूम में विस्फोट हुआ। विस्फोट में एक व्यक्ति की मौत भी हुई थी। विस्फोट के बाद आतंकी इम्तियाज भागने लगा। उस आतंकी के कमर में भी बम बांधा हुआ था। उसी दौरान कुली धर्मा यादव ने अपनी जान पर खेलकर उस आतंकी को धर दबोचा था। उस आतंकी के पकड़ में आने के बाद गांधी मैदान में बम विस्फोट शुरू हो गया। इस घटना के बाद धर्मा कुली को एनआईए ने मुख्य गवाह बनाया था, जिसके बाद 9 आतंकी गिरफ्तार किए गए। इसके बाद धर्मा कुली को गवाही न देने के लिए पाकिस्तान से कॉल आने लगे। उन्हें लाखों रुपयों का लालच दिया गया। फिर भी ये इससे नहीं हटे।
कुली ने सरकार से की आवास और नौकरी की मांग
इस घटना के बाद 2016 में कुली धर्मा यादव पर पटना जंक्शन के पास आत्मघाती हमला हुआ जिसके बाद उन्हें जीआरपी का एक सुरक्षाकर्मी मुहैया कराया गया। उसके बाद दूसरा गार्ड बिहार पुलिस का उन्हें अप्रैल 2023 में उपलब्ध करवाया गया। कुली धर्मा यादव अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते हैं। वो लोगों का सामान ढोते हैं। समान ढो कर रोज़ाना 500 रुपया कमा लेते हैं। पंजाब केसरी के सवाल पर धर्मा यादव कहते हैं कि सरकार से उन्हें बॉडी गार्ड के अलावा कोई मदद नहीं मिली है। वो गैलेंट्री अवार्ड के लिए कई बार सरकार से गुहार लगा चुके हैं। घटना के 11 सालों के बाद भी उन्हें कोई अवार्ड नहीं मिला। साथ ही उनका कहना है कि उन्हें रहने के लिए घर नहीं है वो कुली विश्राम गृह में रहते हैं जिससे उनके बॉडी गार्डों को बहुत दिक्कत होती है। वो सरकार से गुजारिश करते हैं कि उन्हें रहने के लिए एक आवास और उनके बेटे को नौकरी दिया जाए ताकि बुढ़ापे में उनका जीवन अच्छे से गुजरे।