सीमांचल-कोसी में महागठबंधन का खेल बिगाड़ सकते हैं OWAISI, मुस्लिम वोटरों में ओवैसी की सेंध

11/6/2020 1:07:41 PM

 

पटनाः बिहार में विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण में सभी दलों की नजर सीमांचल और कोसी की सीटों पर टिकी है। सीमांचल और कोसी के मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में करने के लिए नेताओं में होड़ लगी हुई है।

बीजेपी इस इलाके में बांग्लादेशियों के अवैध घुसपैठ का मुद्दा उठा रही है और हर सभा में घुसपैठियों को भगाने की बात कह रही है। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है कि किसी को भी बिहार से नहीं भगाया जाएगा। साफ हो गया है कि अवैध घुसपैठियों को लेकर एनडीए में दरार खुलकर सामने आ गई है, हालांकि इन इलाकों के मुस्लिम वोटरों पर हमेशा से आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मजबूत पकड़ रही है, लेकिन पिछले कुछ चुनावों से सीमांचल और कोसी के मुस्लिम बहुल इलाकों में असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी छाप छोड़ी है। इस चुनाव में भी ओवैसी ने सीएए और एनआरसी के मुद्दे को हवा देकर मुस्लिम वोटरों को रिझाने की कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

ओवैसी की सभाओं में उमड़ रही मुस्लिम समाज की भीड़ से महागठबंधन खेमे की बेचैनी बढ़ती नजर आ रही है। ओवैसी मुस्लिम वोटरों में लहर पैदा कर रहे हैं। बिहार की सत्ता समीकरण को बिगाड़ने में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने ताकत झोंक दी है। सीमांचल और कोसी क्षेत्र में दो दर्जन सीटों पर ओवैसी ने कैंडिडेट उतारे हैं। सीमांचल की 19 सीटों पर मुसलमान मतदाताओं की भूमिका निर्णायक मानी जाती है, तो कोसी की 18 सीटों पर भी मुस्लिम वोटर चुनावी नतीजों पर असर डालने की ताकत रखते हैं। ऐसे में अगर ओवैसी ने मुस्लिम वोटरों के एक हिस्से को भी अपने पाले में कर लिया तो आरजेडी और कांग्रेस का गेम बिगड़ सकता है। ओवैसी फैक्टर के हावी होने से महागठबंधन को नुकसान हो सकता है। ओवैसी ने सोच-समझकर मुस्लिम, यादव और अनुसूचित जाति के उम्मीदवार उतारे हैं, जो महागठबंधन के वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश मानी जा रही है।

असदुददीन ओवैसी ने 24 में से 6 सीटों से दलितों, ओबीसी और आदिवासी कैंडिडेट को टिकट दिया है। सीमांचल की जनसभा में ओवैसी को मुस्लिम वोटरों का अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा है। इसके अलावा ओवैसी सीमांचल और कोसी के इलाके के पिछड़ेपन का मुद्दा भी उठा रहे हैं। जनसभा में ओवैसी के निशाने पर सीएम नीतीश कुमार भी हैं। ओवैसी ने दावा किया कि लॉकडाउन में नीतीश सरकार गरीबों को खाना तक नहीं खिला पाई। उन्होंन कहा कि बिहार में स्कूल की बिल्डिंग तो है लेकिन टीचर नहीं है। बीते उपचुनाव में किशनगंज से विधानसभा सीट जीत कर ओवैसी ने सीमांचल की पावर पॉलिटिक्स में अपनी ताकत दिखा दी है। महागठबंधन को भी इस बात का अहसास है कि ओवैसी उनके समीकरण बिगाड़ सकते हैं।

यही वजह है कि आरजेडी और कांग्रेस के नेता ओवैसी को बीजेपी की बी टीम बता रहा है। सीमांचल और कोसी के हर वर्ग के मतदाता हर सियासी दल से छला हुआ महसूस करते हैं। हर साल आने वाली बाढ़ और इस बार मक्के की उचित कीमत नहीं मिलने से हर वर्ग का मतदाता नाराज है। मुस्लिम वोटरों में भी हर सियासी दल से ठगे जाने की भावना है। अगर ओवैसी इसे भुना ले गए तो महागठबंधन को नुकसान तो पहुंचा ही देंगे।


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Nitika

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