नाबालिग से दुष्कर्म मामले में दोषी युवक को 10 वर्षों की कठोर कैद, 25 हजार रुपए का जुर्माना

6/23/2024 5:00:03 PM

पटना: बिहार में पटना की विशेष अदालत ने एक नाबालिग के साथ लगातार दुष्कर्म किए जाने के मामले में दोषी युवक को 10 वर्षों के सश्रम कारावास के साथ ही 25 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। बच्चों का लैंगिक अपराध से संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के विशेष न्यायाधीश कमलेशचंद्र मिश्र ने मामले में सुनवाई के बाद पटना के कंकड़बाग थाना क्षेत्र स्थित मदरसा गली निवासी मोहम्मद इश्तियाक कुरैशी को भारतीय दंड विधान और पॉक्सो अधिनियम की अलग-अलग धाराओं में दोषी करार देने के बाद यह सजा सुनाई है। 

जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर दोषी को छह माह के कारावास की सजा अलग से भुगतनी होगी। इसके अलावा अदालत ने पीड़िता को पांच लाख रुपए का मुआवजा उसके पुनर्वास के लिए दिए जाने का आदेश जिला विधिक सेवा प्राधिकार को दिया है। मामले के विशेष लोक अभियोजक सुरेश चन्द्र प्रसाद ने बताया कि इस मुकदमे की प्राथमिकी वर्ष 2019 में कंकड़बाग थाने में दर्ज की गई थी। अदालत में पेश किए गए सबूतों के अनुसार पीड़िता अपनी छोटी बहन के साथ रेलगाड़ी में अपने माता-पिता से बिछड़ गई थी जब वह पांच वर्ष की और उसकी छोटी बहन तीन वर्ष की थी। वह दोषी इश्तियाक कुरैशी के पिता के घर में रहने लगी। वहां उसे दोषी का बड़ा भाई लेकर आया था और अपने घर में शरण दी थी। दोनों बहने दोषी के पिता के घर में दोषी के परिवार के साथ रहने लगी। बाद में आरोप के अनुसार, पीड़िता के साथ वर्ष 2010 से दोषी बलात्कार करने लगा। विरोध करने पर उसको और उसकी छोटी बहन को जान से मार देने की धमकी देता था। 

परिवार वालों से पीड़िता ने जब शिकायत की तो परिवार के सदस्यों के द्वारा मना करने के बावजूद भी दोषी नहीं माना और दुष्कर्म करना जारी रखा। अंत में दोनों बहनों ने अपने स्कूल की क्लास टीचर से शिकायत की और फिर बात पुलिस तक पहुंची दोनों बहनों को एक स्वयंसेवी संस्था में रखा गया। मामले की जांच के दौरान पीड़िता गर्भवती निकली जिसका न्यायालय की अनुमति से गर्भपात कराया गया। आरोप साबित करने के लिए अभियोजन ने अदालत में आठ गवाहो का बयान कलम बंद करवाया था। दूसरी ओर बचाव पक्ष की ओर से भी पांच गवाह पेश किए गए थे। बचाव में अभियुक्त की ओर से कहा गया कि पीड़िता के गर्भ में पाए गए भ्रूण और दोषी इश्तियाक कुरैशी के डीएनए टेस्ट से भ्रूण अभियुक्त के होने की पुष्टि नहीं होती है, जिस कारण पीड़िता द्वारा लगाया गया आरोप झूठा साबित होता है। दोनों पक्षों के सबूतों की विवेचना के बाद अदालत ने पीड़िता के बयान पर विश्वास करते हुए इस मामले को गुरुत्तर प्रवेशन लैंगिक हमले के श्रेणी वाला अपराध माना और अभियुक्त को दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई है। मुकदमा दर्ज होने के बाद से ही अभियुक्त वर्ष 2019 से जेल में बंद है। न्यायालय के निर्णय के अनुसार, जेल में बिताई गई अवधि सजा में समायोजित की जाएगी। 
 


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Ramanjot

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