गांव-गांव ऊर्जा क्रांति ला रहीं जीविका दीदियां, मिनी गैस एजेंसी से बदली हजारों महिलाओं की जिंदगी
Tuesday, Mar 11, 2025-07:32 PM (IST)

पटना: ग्रामीण विकास को सशक्त बनाने में जीविका दीदियों की भूमिका लगातार बढ़ रही है। स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर ये महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि बिहार सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाने का काम भी कर रही हैं। अब ये दीदियां उज्ज्वला सखी कार्यक्रम के तहत मिनी गैस एजेंसियां संचालित कर रही हैं, जिन्हें "ऊर्जा स्टोर" के नाम से जाना जाता है।
बिहार सरकार की सतत जीविकोपार्जन योजना से लाभान्वित महिलाएं इन ऊर्जा स्टोर्स के माध्यम से गांव-गांव तक रसोई गैस की सुविधा पहुंचा रही हैं। उज्ज्वला सखियां पहले से ही सूक्ष्म उद्यम चला रही थीं, जैसे कि किराना दुकान, सिलाई केंद्र, श्रृंगार स्टोर या ग्राहक सेवा केंद्र। अब वे अपने व्यवसाय को और आगे बढ़ाते हुए ऊर्जा स्टोर चला रही हैं, जिससे उनकी आमदनी में वृद्धि हो रही है और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बन रहे हैं।
ऊर्जा स्टोर से ग्रामीण महिलाओं को मिला रोजगार
पटना जिले के मसौढ़ी प्रखंड के सिकरिया गांव में किरण देवी नामक महिला ने अक्टूबर 2023 में अपना ऊर्जा स्टोर शुरू किया। वे भारत गैस वितरक के साथ मिलकर गैस रिफिल, नए कनेक्शन (उज्ज्वला और सामान्य श्रेणी), दूसरा सिलेंडर, पोर्टेबिलिटी जैसी सेवाएं प्रदान कर रही हैं। इसके अलावा, वे गैस चूल्हे और सुरक्षा गैस पाइप की बिक्री भी कर रही हैं। इस पहल से उन्हें हर महीने 6 से 7 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी हो रही है।
किरण देवी पहले खेतों में मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही थीं। उनके पति की खराब सेहत के कारण घर की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी। 2018 में तुलसी जीविका महिला ग्राम संगठन के जरिए उन्हें सतत जीविकोपार्जन योजना का लाभ मिला, जिससे उन्होंने अपनी श्रृंगार की दुकान शुरू की। जीविका के सहयोग से आज वे आत्मनिर्भर बन चुकी हैं और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा भी दिला रही हैं।
बिहार में तेजी से बढ़ रहा है ऊर्जा स्टोर नेटवर्क
वर्तमान में बिहार के छह जिलों – सीतामढ़ी, सारण, वैशाली, पटना, रोहतास और कटिहार में कुल 10 ऊर्जा स्टोर्स संचालित हो रहे हैं। अन्य जिलों में भी इस योजना का विस्तार किया जा रहा है। इन स्टोर्स की शुरुआत से गांवों में गैस सिलेंडर की उपलब्धता बढ़ी है और लोगों को अपने नजदीक ही बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं।
यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक क्रांतिकारी कदम साबित हो रही है। जीविका दीदियां अब न केवल खुद आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि अपने गांवों में ऊर्जा क्रांति लाने का भी काम कर रही हैं।