पटना के ऐतिहासिक PMCH के महिला अस्पताल का आगे का हिस्सा गिराने से विरासत प्रेमी नाराज
3/27/2024 3:29:40 PM
पटनाः बिहार की राजधानी पटना स्थित 90 से अधिक पुराने ऐतिहासिक पीएमसीएच के महिला अस्पताल के सामने की पूरी संरचना को ध्वस्त कर दिये जाने से विरासत प्रेमियों और संस्थान के कई पूर्व छात्रों में नाराजगी है।
पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) की स्थापना 1925 में तत्कालीन बिहार और उड़ीसा प्रांत के पहले मेडिकल कॉलेज के रूप में हुई थी। बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग कर 1912 में गठित किए गए बिहार राज्य की स्थापना की 112वीं वर्षगांठ पर गत 22 मार्च के दिन मजदूर पीएमसीएच के महिला अस्पताल के आगे के हिस्से की शेष संरचनाओं को तोड़ने में व्यस्त थे। कभी प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज के रूप में पहचाना जाने वाला पीएमसीएच पटना शहर के ऐतिहासिक अशोक राजपथ पर स्थित है। प्रिंस ऑफ वेल्स की 1921 में हुई पटना यात्रा की याद में इसका नाम प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज रखा गया था, जिसे आजादी के कुछ दशकों के बाद पीएमसीएच का नाम दे दिया गया। आधुनिक बिहार और उड़ीसा प्रांत का जन्म 1912 में हुआ था, जब इसे बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग कर नया प्रांत बनाया गया। एक अप्रैल, 1936 को उड़ीसा एक अलग प्रांत के रूप में अस्तित्व में आया था।
अधिकारियों ने कहा कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के कारण पीएमसीएच के महिला अस्पताल के सामने के पूरे हिस्से को गिरा दिया गया है। इस महिला अस्पताल की स्थापना 1930 में की गई थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 27 फरवरी को पीएमसीएच पुनर्विकास परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन किया था। इस अस्पताल के बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर बदलाव की योजना के रूप में पुराने पीएमसीएच स्थल पर 5,540 करोड़ रुपए की लागत से 5,462 बिस्तर वाला अस्पताल बनाया जाएगा। इस परियोजना के सात साल में पूरा होने की उम्मीद है। इस परियोजना की आधारशिला मुख्यमंत्री ने 8 फरवरी, 2021 को रखी थी। पीएमसीएच परिसर में आधुनिक, ऊंची इमारतों के निर्माण के लिए मौजूदा ढांचे को गिराए जाने का पहला चरण 2021 की दूसरी छमाही में शुरू हुआ।
पीएमसीएच के पुराने चिकित्सा अधीक्षक के बंगले, जेल वार्ड और नर्स हॉस्टल सहित इस अस्पताल की कई पुरानी इमारतों को पुनरुद्धार परियोजना के तहत चरणबद्ध तरीके से ध्वस्त कर दिया गया है। पीएमसीएच के पूर्व छात्रों ने अधिकारियों से इसकी पुरानी संरचनाओं को ध्वस्त न करने की अपील की थी, जो इस ऐतिहासिक संस्थान की स्थापना की कहानियां बयां करती हैं। पीएमसीएच पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष सत्यजीत कुमार सिंह ने कम से कम ऐतिहासिक पुराने ‘बांकीपुर जनरल हॉस्पिटल' भवन और प्रशासनिक खंड को बख्शने की अपनी अपील दोहरायी है, ताकि आने वाली पीढ़ियां इस संस्थान की विरासत को मूर्त रूप में देख सकें। पटना कॉलेज के 20 वर्षीय छात्र अमन लाल ने कहा, ‘‘सरकार धीरे-धीरे शहर की सभी प्रमुख धरोहर भवनों को नष्ट कर रही है, जो हमारे राज्य और पटना की पहचान हैं। वहीं बिहार दिवस पर मैं कॉलेज जा रहा था, जब मैंने मजदूरों को पीएमसीएच के महिला अस्पताल के भवन के सामने के हिस्से के अवशेषों को गिराते देखा, जिससे मुझे दुख हुआ।'' उन्होंने कहा, ‘‘बिहार दिवस पर हमारी धरोहरों का जश्न मनाने के बजाय सरकार ने इसे ढहा दिया है। यह दुखद है।''
पीएमसीएच के पूर्व छात्र प्रतीक निशांत ने कहा, ‘‘विरासत और विकास एक साथ अस्तित्व में रह सकते हैं और इसके लिए संवेदनशील योजना की आवश्यकता है।'' निशांत के परदादा तारिणी प्रसाद सिन्हा 1927 में इस संस्थान के पहले स्नातक बैच में थे। उन्होंने कहा, ‘‘एक पूर्व छात्र के रूप में मुझे दुख हो रहा है। पीएमसीएच की स्थापना के अगले साल 100 वर्ष हो जाएंगे। इसकी धरोहर इमारतों को आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाया जाना चाहिए था। पीएमसीएच के नए खंड शहर में कहीं और बनाए जाने चाहिए थे।'' अधिकारियों ने बताया कि कारगिल चौक से एनआईटी मोड़ तक अशोक राजपथ पर बन रहे करीब दो किलोमीटर लंबे ‘डबल डेकर फ्लाईओवर' के ‘एलाइनमेंट' के लिए भी पीएमसीएच के महिला अस्पताल के आगे के हिस्से को तोड़ा गया है।