पटना में नाट्य उत्सव का जलवा, मंचीय प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोहा

Thursday, Feb 27, 2025-10:04 PM (IST)

पटना: बिहार सचिवालय स्पोर्ट्स फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित ‘अखिल भारतीय असैनिक सेवा संगीत, नृत्य एवं लघु नाट्य प्रतियोगिता 2024-25’ के तीसरे दिन मंचीय प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। इस भव्य आयोजन में भारत सरकार के केंद्रीय सिविल सेवा सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा बोर्ड का मार्गदर्शन प्राप्त है। उर्जा ऑडिटोरियम, राजवंशी नगर, पटना में आयोजित इस प्रतियोगिता में विभिन्न राज्यों से आई टीमों ने अपने नाटकों के माध्यम से सामाजिक मुद्दों, ऐतिहासिक घटनाओं और समकालीन विषयों को रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया।

सामाजिक और ऐतिहासिक कहानियों से सजा रंगमंच

कार्यक्रम की शुरुआत मंच संचालिका लाडली रॉय और जया अग्रवाल द्वारा की गई, जिन्होंने आज प्रस्तुत किए जाने वाले पांच नाटकों की घोषणा की।

'काम का न काज का, तमाशा मूर्ख राज का'

इस नाटक ने समाज की वास्तविकताओं पर करारा व्यंग्य किया। इसमें दिखाया गया कि आम जनता को अपने अधिकारों की जानकारी तो होती है, लेकिन वे केवल बुनियादी जरूरतों से संतुष्ट हो जाते हैं। इस बीच सत्ता वर्ग अपने स्वार्थ के लिए व्यवस्थाओं का दुरुपयोग करता है। नाटक ने सरकारी तंत्र में मौजूद विसंगतियों को प्रभावशाली तरीके से उजागर किया।

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'हमारे राम'

हिमाचल प्रदेश सचिवालय की प्रस्तुति ‘हमारे राम’ ने रामायण की एक नई व्याख्या प्रस्तुत की। इस नाटक में कंबन रामायण पर आधारित कहानी को मंचित किया गया, जिसमें यह दिखाया गया कि कैसे शूर्पणखा ने एक साजिश के तहत रावण को सीता-हरण के लिए उकसाया। महानायक आशुतोष राणा द्वारा किए गए नाट्य रूपांतरण ने इस प्रस्तुति को और भी रोचक बना दिया।

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 'द कॉमन मैन'

महाराष्ट्र सचिवालय की प्रस्तुति ‘द कॉमन मैन’ में एक साधारण परिवार के संघर्षों को दर्शाया गया। कैसे एक आम आदमी कठिन परिस्थितियों का सामना कर आगे बढ़ता है, इस नाटक ने इसे बखूबी प्रस्तुत किया। दर्शकों ने इस प्रस्तुति में जीवन की सच्चाइयों को महसूस किया और भावुक हो गए।

 'ताजमहल का टेंडर'

आरएसबी कानपुर द्वारा प्रस्तुत ‘ताजमहल का टेंडर’ ने हास्य और व्यंग्य का बेहतरीन संगम प्रस्तुत किया। नाटक ने यह कल्पना की कि यदि आज के दौर में शाहजहाँ ताजमहल बनवाते, तो सरकारी प्रक्रियाओं और टेंडर सिस्टम में कितनी अड़चनों का सामना करना पड़ता। सरकारी कार्यशैली पर कटाक्ष करते इस नाटक ने दर्शकों को खूब हंसाया।

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नाटकों ने दर्शकों को हंसाया भी, सोचने पर भी मजबूर किया

इन शानदार नाटकों ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। कभी हास्य, तो कभी गहरे सामाजिक संदेशों के साथ इन प्रस्तुतियों ने हॉल में बैठे हर व्यक्ति को भावनात्मक रूप से जोड़े रखा। दर्शकों ने बार-बार तालियों से कलाकारों का हौसला बढ़ाया।

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18 राज्यों की 750 से अधिक प्रतिभागियों ने बढ़ाया आयोजन का गौरव

इस प्रतियोगिता की खास बात यह है कि इसमें देशभर के सरकारी अधिकारी स्वयं विभिन्न नृत्य, संगीत और नाटकों का मंचन कर रहे हैं। कुल 18 राज्यों से आई 750 से अधिक प्रतिभागी टीमें इस रंगारंग आयोजन में भाग ले रही हैं।

पटना में रंगमंच का यह उत्सव बना यादगार

इस तरह के राष्ट्रीय स्तर के सांस्कृतिक आयोजनों से पटना के रंगमंच प्रेमियों को उच्च स्तर की प्रस्तुतियां देखने को मिल रही हैं। दर्शकों के अनुसार, पटना में इस तरह के आयोजन न केवल सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा देते हैं बल्कि सरकारी अधिकारियों की रचनात्मकता को भी सामने लाते हैं। यह आयोजन 29 फरवरी 2025 तक चलेगा, जिसमें कई और शानदार प्रस्तुतियां देखने को मिलेंगी।


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Content Writer

Ramanjot

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