Bihar Heritage Trees: बिहार में 32 किस्म के पेड़ ‘विरासत वृक्ष’ घोषित, जैव विविधता संरक्षण की पहल

Wednesday, Mar 26, 2025-07:35 PM (IST)

पटना : बिहार राज्य जैव विविधता बोर्ड (BSBB) ने राज्य में दीर्घायु और ऐतिहासिक महत्व रखने वाले वृक्षों की पहचान कर उन्हें संरक्षित करने की पहल की है। इस अभियान के तहत विभिन्न जिलों से 15 हजार वृक्षों में से 1,500 विशिष्ट वृक्षों का चयन किया गया है, जिनमें से 32 वृक्षों को अब तक 'विरासत वृक्ष' घोषित किया जा चुका है।

11 विशिष्ट प्रजाति के वृक्षों की हुई पहचान

बिहार के 4 जिलों - मुंगेर, भागलपुर, जमुई और बक्सर में 11 विशिष्ट प्रजातियों के वृक्षों की पहचान की गई है। इनमें पीपल, पाकड़, बरगद, नीम, कनकचंपा, इमली, सेमल और महुआ जैसे वृक्ष शामिल हैं। इन वृक्षों की गुणवत्ता और उनकी विशेषताओं को दर्शाने वाले फोटो भी संकलित कर लिए गए हैं। 

विरासत वृक्ष के रुप में शामिल किए गये 32 पेड़

खास बात ये है कि इन वृक्षों से संबंधित विस्तृत आलेख तैयार किए जा रहे हैं, जिनमें उनकी ऐतिहासिक, भौगोलिक और पर्यावरणीय महत्ता का वर्णन किया जाएगा। बिहार राज्य जैव विविधता बोर्ड के उप निदेशक मिहिर झा ने बताया कि अबतक राज्य के चार जिलों से 32 वृक्षों को 'विरासत वृक्ष' के रूप में शामिल किया गया है। इनमें इनकी अधिकतम आयु 150 वर्ष तक आंकी गई है। साथ ही इन वृक्षों के बारे में पता लगाने और संरक्षित करने के लिए एक ऐप भी विकसित किया गया है। 

ऐप के साथ BSBB को भी कर सकते हैं सूचित

इस ऐप के माध्यम से आम लोग अथवा जनप्रतिनिधि अपने जिले, मोहल्ले, पंचायत, ब्लॉक आदि के विशिष्ट वृक्ष की तस्वीरें जीपीएस लोकेशन के साथ डाल सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ऐप के साथ बीएसबीबी को भी इसकी सूचना दें और बोर्ड भौतिक सत्यापन कर जानकारी सही होने पर उन्हें विरासत वृक्ष की सूची में शामिल करेगा।

विरासत वृक्षों की होगी औपचारिक घोषणा

इस परियोजना के अंतर्गत राज्य के "विरासत वृक्षों" की औपचारिक घोषणा की जाएगी। इसके साथ ही एक विस्तृत पुस्तिका भी प्रकाशित होगी, जिससे आम जनता को इन वृक्षों की महत्ता और संरक्षण की आवश्यकता के प्रति जागरूक किया जा सकेगा।

यह पहल न केवल जैव विविधता को सुरक्षित रखने में सहायक होगी बल्कि पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और पारंपरिक वृक्षों की रक्षा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। सरकार और पर्यावरणविदों की इस संयुक्त पहल से भविष्य में जैव विविधता संरक्षण को नई दिशा मिलेगी।


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Ramanjot

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