बिहार में एशियन वॉटरबर्ड सेंसस (AWC) कार्यशाला का आयोजन, 100 से अधिक विशेषज्ञों और स्वयंसेवकों ने लिया भाग
Tuesday, Dec 03, 2024-12:35 PM (IST)
Bihar News: पक्षी संरक्षण प्रयासों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, बिहार सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग (DEF&CC) ने बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) के सहयोग से 2 दिसंबर 2024 को पटना के अरण्य भवन में एशियाई जलपक्षी गणना Asian Waterbird Census (AWC) कार्यशाला का आयोजन किया।
इस कार्यशाला में 100 से अधिक विशेषज्ञों, सरकारी अधिकारियों, शोधकर्ताओं और स्वयंसेवकों ने भाग लिया, जिसका उद्देश्य राज्य में प्रवासी पक्षियों की प्रभावशीलता को बढ़ाना और बिहार के आर्द्रभूमियों के लिए इसके दीर्घकालिक संरक्षण रणनीति में योगदान करना था। एस. सुधाकर, IFS, गया सर्कल के संरक्षक वन अधिकारी और AWC के राज्य नोडल अधिकारी ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया और बिहार में पक्षी संरक्षण की बढ़ती अहमियत पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बिहार की जैव विविधता की रक्षा के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित किया, विशेष रूप से जलपक्षियों के संदर्भ में और राज्य की महत्वपूर्ण योगदान पर जोर दिया।
कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. प्रेम कुमार, मंत्री, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग (DEF&CC) ने किया, जिन्होंने बिहार की पक्षी संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता पर गर्व व्यक्त किया और राज्य की केंद्रीय एशियाई उड़ान मार्ग में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने पक्षी जीवन के संरक्षण के लिए सरकारी एजेंसियों, संरक्षण समूहों और स्थानीय समुदायों के बीच निरंतर सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। राज्य ने पक्षी संरक्षण प्रयासों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जैसे कि गरुड़ बचाव एवं पुनर्वास केंद्र (Greater Adjutant Rescue and Rehabilitation Centre) की स्थापना और भागलपुर में बर्ड रिंगिंग और मॉनिटरिंग स्टेशन की स्थापना। कार्यशाला में एक विस्तृत तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें 2022 से बिहार में AWC के तहत की गई उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया। प्रस्तुतियों ने जलपक्षी जनसंख्या की निगरानी, आर्द्रभूमि स्वास्थ्य का मूल्यांकन और राज्य भर में संरक्षण प्रयासों को सुदृढ़ करने में गणना की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया।
इस सत्र के दौरान, विशेषज्ञों ने जलपक्षी आवासों को बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्रवाइयों को रेखांकित किया और सरकारी एजेंसियों, NGOs, स्वयंसेवकों और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग की निरंतर आवश्यकता को महसूस किया। नागरिक विज्ञान (Citizen science) के महत्व पर भी जोर दिया गया, जिसे संरक्षण पहलों की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व माना गया। प्रतिभागियों को अपने अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया, जिससे विचारों का जीवंत आदान-प्रदान हुआ और यह सिद्ध हुआ कि टीमवर्क का महत्व कितना बढ़ गया है। कार्यशाला का समापन एक संवादात्मक सत्र के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने अपनी प्रमुख अंतर्दृष्टियों को साझा किया और AWC पहल को आगे बढ़ाने के लिए अगले कदमों पर चर्चा की। उन्होंने सर्वेक्षण कवरेज बढ़ाने, स्वयंसेवकों की भागीदारी को बढ़ावा देने और संरक्षण नीतियों को मजबूत करने के लिए कार्रवाई बिंदुओं की पहचान की। इसके अतिरिक्त, कार्यशाला ने एक महत्वपूर्ण नेटवर्किंग मंच प्रदान किया, जिससे संबंधित पक्षों को एकजुट होकर अपने प्रयासों को संरेखित करने और बिहार में जलपक्षी संरक्षण के भविष्य के लिए एक साझा मार्ग निर्धारित करने का अवसर मिला।
यह कार्यशाला बिहार के पक्षी और आर्द्रभूमि संरक्षण में एक महत्वपूर्ण उपसमेजवदम साबित हुई, जो दीर्घकालिक सहयोग को बढ़ावा देने और राज्य की समृद्ध जैव विविधता को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने के लिए साझा प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करती है।