भूमि अधिग्रहण के विरोध में आदिवासी संगठनों ने 31 जुलाई को कोल्हान बंद का किया आह्वान, आज निकाला जाएगा मशाल जुलूस

Tuesday, Jul 30, 2024-12:28 PM (IST)

सरायकेला: आदिवासी छात्र एकता और अन्य संगठनों ने सरायकेला-खरसावां जिले के तितिरबिला गांव में एक परिवार के खिलाफ हिंसा एवं भूमि अधिग्रहण के विरोध में 31 जुलाई को कोल्हान बंद की घोषणा की है।

बंद से पहले 30 जुलाई को मशाल जुलूस
आदिवासी छात्र एकता के मुख्य संरक्षक जोसाई मार्डी ने बताया कि बंद से पहले 30 जुलाई की शाम को सरायकेला, चांडिल, चाईबासा, चक्रधरपुर, जमशेदपुर, घाटशिला, जादूगोड़ा, हाता, राजनगर समेत अन्य जगहों पर मशाल जुलूस निकाला जाएगा।

जानिए कोल्हान बंद की घोषणा का कारण
 मिली जानकारी के अनुसार, आदिवासियों को उनकी भूमि से बेदखल करने के विरोध में 31 जुलाई को कोल्हान बंद की घोषणा की गई है। आदिवासी छात्र एकता के मुख्य संरक्षक जोसाई मार्डी ने कहा कि बंद का  उद्देश्य आदिवासियों को उनकी भूमि से बेदखल करने के प्रयासों का मुकाबला करना है।  इंद्र हेंब्रम एवं जोसाई मार्डी ने बताया कि अधिकारियों द्वारा खुलेआम भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 का उल्लंघन किया जा रहा है। प्रशासन सड़कों को चौड़ा करने के उद्देश्य से जबरन रैयती जमीन पर स्थित घरों को ध्वस्त कर दिया गया। जब इसके विरोध में 27 जून 2024 को  लोकतांत्रिक तरीके से धरना दिया जा रहा था तो 11 जुलाई को पुलिस बल ने धरनास्थल पर आकर लाठियां बरसाई, जिसमें काफी लोग घायल हो गए एवं उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस एवं प्रशासनिक प्रताड़ना के खिलाफ आवाज उठाने के लिए कोल्हान बंद की घोषणा की गई।

आदिवासियों ने रखी ये मांगें
 बता दें कि इस विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य क्षेत्र के आदिवासी समुदायों का अपनी मांगों को सरकार के सामने उजागर करना है। आदिवासियों की मांंगें - भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 अनुपालन सुनिश्चित हो, सरना धर्म कोड प्रदान किया जाए, कोल्हान क्षेत्रों में बोली जाने वाली मुंडारी एवं भूमिज भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए, कोल्हान विश्वविद्यालय में पिछले एक वर्ष से वीसी, प्रो. वीसी, एफओ, रजिस्ट्रार एवं सीसीडीसी के खाली पद पर नियुक्तियां हो, आदिवासी क्षेत्रों में संविधान की पांचवीं अनुसूची के अनुछेद 244 (1) में वर्णित प्रावधानों को कठोरता से लागू किया जाए। पेसा कानून एसपीटी, सीएनटी एक्ट एवं समता जजमेंट को लागू किया जाए।

बता दें कि बंद को सफल बनाने में तितिरबिला ग्रामसभा, मानकी मुंडा संघ, आदिवासी छात्र एकता, झारखंड आंदोलनकारी मंच, आदिवासी हो समाज महासभा सरायकेला-खरसावां समेत अन्य सामाजिक संगठन शामिल हैं।


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Nitika

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