झारखंड में जानबूझकर संवैधानिक संस्थाओं को पंगु बनाकर रखी है हेमंत सरकार: बाबूलाल मरांडी
Saturday, May 24, 2025-12:55 PM (IST)

रांची: झारखंड में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य की ऐसी सारी संवैधानिक संस्थाएं जो राज्य सरकार के काम काज, गड़बड़ियों, भ्रष्टाचार पर नजर रखती है, जनता की शिकायत पर सुनवाई और कार्रवाई करती है को राज्य सरकार ने पंगु बनाकर रखा है। मरांडी ने पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य में लोकायुक्त, महिला आयोग, सूचना आयोग, उपभोक्ता फोरम जैसी महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्थाओं में वर्षों से अध्यक्ष/ सदस्य के पद खाली हैं। कहीं अध्यक्ष हैं तो सदस्य नहीं, कही न अध्यक्ष हैं न सदस्य। संस्थान सिर्फ नाम मात्र का रह गया है।
"आज विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष है, लेकिन हेमंत सरकार की नियत साफ नहीं"
मरांडी ने कहा कि ये संवैधानिक संस्थाएं जनता को न्याय दिलाने में सहायक होती हैं, सरकार को पारदर्शी और जवाबदेह बनाती है, लेकिन आज इनका पंगु रहना लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर कर रही है। मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार नेता प्रतिपक्ष नहीं होने का बहाना बनाती थी जबकि सच्चाई है कि भाजपा ने समय पर नेता चुनकर दिया है। पिछले टर्म में दो बार नेता का चयन किया गया, लेकिन परिणाम शून्य रहा। आज विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष है, लेकिन हेमंत सरकार की नियत साफ नहीं। यह सरकार अपनी नाकामियों, विफलताओं, भ्रष्टाचार को उजागर नहीं होने देना चाहती। लोग शिकायत करेंगे तो मामला संवैधानिक जांच के घेरे में आएगा, सूचनाएं मांगे जाने पर उपलब्ध कराने की बाध्यता होगी। राज्य सरकार इससे बचना चाहती है। मरांडी ने कहा कि सूचना आयुक्त का पद खाली है, महिला आयोग में 2020 से ही अध्यक्ष और सदस्य का पद खाली है, जिसमें 5000 से अधिक मामले लंबित हैं, महिलाओं को न्याय नहीं मिल रहा। यहां कर्मचारियों को वेतन तक नहीं मिल रहा। एक सफाई कर्मी की मौत भी हो चुकी है। उपभोक्ता फोरम में दर्जन भर जिले अध्यक्ष और सदस्य विहीन हैं।
"सरकार जानबूझकर संवैधानिक पदों पर नियुक्तियां नहीं करना चाहती"
मरांडी ने कहा कि लोकायुक्त के नहीं रहने से न तो कोई शिकायत दर्ज हो रही, न कोई भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई हो रही। जबकि लोकायुक्त जैसी स्वतंत्र संस्था राज्य में काम करेगी तो मंत्री, विधायक बड़े पदाधिकारी, यहां तक कि एसीबी के विरुद्ध भी गलत और पक्षपातपूर्ण कार्रवाई और जांच की शिकायत की जा सकेगी। मरांडी ने कहा कि हाइकोर्ट के निर्देशों के बावजूद इन पदों को नहीं भरा का रहा है। इससे स्पष्ट है कि यह सरकार जानबूझकर संवैधानिक पदों पर नियुक्तियां नहीं करना चाहती है। ताकि किसी भी प्रकार के गलत काम के विरुद्ध किसी बड़ी मछली के खिलाफ स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच और दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो। मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार संवैधानिक तरीके से बल्कि 'मुखेर कानून' चलाना चाहती है। मरांडी ने मांग किया कि अविलंब सूचना आयुक्त, महिला आयोग, लोकायुक्त जैसे महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्थाओं के अध्यक्ष, सदस्यों की नियुक्ति की जाए।