"झारखंड शराब घोटाले में CM हेमंत शामिल", बाबूलाल मरांडी बोले- यह घोटाला हुआ नहीं बल्कि सुनियोजित तरीके से कराया गया
Thursday, May 22, 2025-10:29 AM (IST)

रांची: झारखंड में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर बड़ा हमला बोला है। मरांडी ने पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शराब घोटाले की परत जिस प्रकार से रोज खुल रही रही है उससे यह स्पष्ट हो रहा है कि झारखंड में दिल्ली से भी बड़ा शराब घोटाला हुआ है। जिस प्रकार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उनके द्वारा पत्र लिखकर आगाह किए जाने के बावजूद कार्रवाई से बचते रहे उससे यह स्पष्ट हो रहा कि यह घोटाला हुआ नहीं बल्कि सुनियोजित तरीके से कराया गया है जिसमें मुख्यमंत्री स्वयं शामिल हैं।
मरांडी ने कहा कि 19 अप्रैल 2022 को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को झारखंड उत्पाद विभाग के पदाधिकारियों द्वारा झारखंड राज्य विवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड की निविदा जेसीबीसीएल /02 दिनांक 01 अप्रैल 2022 में अंकित बिंदुओं की अवहेलना कर एक साजिश के तहत छत्तीसगढ़ की कंपनी विशेष को टेंडर देने एवं उससे होने वाली भारी राजस्व की क्षति की ओर ध्यान आकर्षित कराया था। मरांडी ने कहा कि पत्र में यह भी उल्लेख किया था कि उपर्युक्त वर्णित निविदा की कंडिका 9.3 में 3.90त्न अधिकतम लाभांश को बदलकर निविदा डालने वाली इकाइयों से न्यूनतम मार्जिन दर्शाने की बात अंकित है जिसके फलस्वरूप ए टू जेड इंफ्रा सर्विस लि, प्राइम वन वकर्फोर प्राइवेट लिमिटेड, सुमित फैसिलेशन लि और ईगर हंटर सलूशन लि जो पूर्व मे उनके मनोनुकूल शर्तें नहीं होने के कारण टेंडर नहीं डाल सके थे टेंडर में भाग ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार पत्र लिखने के बावजूद सरकार ने संज्ञान नहीं लिया। उन्हें पता था गड़बड़ हो रहा, लेकिन गड़बड़ी रोकने के बजाय उसमें साथ दिया और उससे होने वाले उपार्जन का लाभ लिया। कहा कि उन्होंने छत्तीसगढ़ की जिन कंपनियों का नाम पत्र में लिखा था उन्हें निविदा मंजूर की गई, काम मिला।
मरांडी ने कहा कि सवाल उठता है कि 2022 में पत्र लिखकर आगाह करने के बाद भी 2025 तक मुख्यमंत्री ने क्यों लूट होने दी, क्यों कार्रवाई नहीं की।? उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की नींद तब खुली जब 27 सितंबर 2024 को अखबार में खबर छपी कि शराब घोटाले में छत्तीसगढ़ में झारखंड के आईएएस अधिकारी विनय चौबे और मुकदमा दर्ज हुआ है। तब झारखंड सरकार में बैठे लोगों के कान खड़े हुए। जांच का भय सताने लगा। इसलिए आनन- फानन में अक्टूबर 2024 में पीई प्राइमरी इन्क्वायरी सेटअप की गई, लेकिन इस समय भी एफआइआर दर्ज नहीं हुआ। इससे स्पष्ट है कि घोटाले पर पर्दा डालने और बड़ी मछलियों को बचाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की कार्रवाई के बाद हड़बड़ी ने जांच प्रारंभ हुई जो पूरी तरह से सोची समझी साजिश है। यह ध्यान देने वाली बात है कि कल ही एसीबी ने विनय चौबे पर एफआईआर दर्ज किया और गिरफ्तार कर लिया। मरांडी ने कहा कि अब यह स्पष्ट हो रहा कि अवैध तरीके से क्यों डीजीपी को रखा गया है। कहा कि संवैधानिक रूप में विगत 21 दिनों से झारखंड डीजीपी विहीन है, लेकिन एक योजना के तहत अवैध डीजीपी से अवैध काम लिया जा रहा है। कहा कि इस घोटाले के पहले भी राज्य के दो अंचलाधिकारी मनोज कुमार और शैलेश एक घोटाले में ईडी के गवाह हैं। एसीबी ने मुकदमा दर्ज किया छापेमारी की ताकि मामले को लटकाया जा सके और अब गवाहों को धमकी दी जा रही कि गवाही से मुकर जाओ नहीं तो कार्रवाई होगी।