सम्मेद शिखर जी मामले में केंद्र और राज्य सरकार के फैसले का दिगंबर जैन समाज ने किया स्वागत
Sunday, Jan 08, 2023-12:37 PM (IST)

रामगढ़: सम्मेद शिखरजी मामले में केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने जैन समाज की मांग मान ली है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के इस फैसले का दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष मानिक चंद जैन पाटनी और संयुक्त मंत्री नरेंद्र जैन छाबड़ा ने कहा कि श्री सम्मेद शिखरजी के संदर्भ में सरकार का निर्णय स्वागत योग्य है। इस पावन तीर्थ के लिए सरकार के इस फैसले के लिए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार और झारखंड के हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार के प्रति हम आभार प्रकट करते हैं।
"केंद्र एवं राज्य सरकार का यह निर्णय मील का पत्थर साबित होगा"
उन्होंने कहा कि चंद्र प्रकाश चौधरी सांसद गिरिडीह, सुदिव्य कुमार विधायक गिरिडीह के प्रति भी हम आभार प्रकट करते हैं। सभी को दिल की गहराइयों से धन्यवाद। इसके अलावा समाज के इस प्रयास में जिन लोगों ने प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग दिया है उन्हें बहुत-बहुत साधुवाद एवं धन्यवाद दिया है। उन्होंने आगे कहा कि हम प्रशासन तथा प्रेस मीडिया के प्रति भी आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने जैन समाज को साथ दिया। कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार का यह निर्णय मील का पत्थर साबित होगा। इससे श्री सम्मेद शिखर पर्वत की पवित्रता एवं सुचिता अखंडित रहेगी। साथ ही स्थानीय नागरिकों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
जैन समाज के लोगों ने किया था प्रदर्शन
बता दें कि 2019 में केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखर को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था। इसके बाद झारखंड सरकार ने एक संकल्प जारी कर जिला प्रशासन की अनुशंसा पर इसे पर्यटन स्थल घोषित किया। गिरिडीह जिला प्रशासन ने नागरिक सुविधाएं डेवलप करने के लिए 250 पन्नों का मास्टर प्लान भी बनाया है। इसके बाद जैन समुदाय के लोग इस फैसले के खिलाफ हो गए थे। जैन समाज के लोगों ने देश के किसी-किसी राज्य में सड़कों पर प्रदर्शन किया।
केंद्र सरकार ने वापिस लिया फैसला
जैन समाज के लोगों द्वारा राजधानी रांची में मौन पद यात्रा निकाली गई। इसके चलते केंद्र सरकार ने फैसला लिया कि यह अब पर्यटन क्षेत्र नहीं होगा। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में सभी पर्यटन और इको टूरिज्म गतिविधि पर पर रोक लगाने के निर्देश दिए। केंद्र सरकार ने हेमंत सरकार को पत्र के माध्यम से कहा था कि ''इको सेंसेटिव जोन अधिसूचना के खंड-3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाती है, जिसमें अन्य सभी पर्यटन और इको-टूरिज्म गतिविधियां शामिल हैं। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।''