Land For Job: मुश्किलों में फंसा लालू परिवार, जानिए ''जमीन के बदले नौकरी'' मामले से जुड़ी एक-एक बात

3/12/2023 2:18:36 PM

पटना: बिहार में राजद के प्रमुख लालू यादव समेत उनका पूरा परिवार सीबीआई और ईडी के नजर में है। पिछले कई दिनों से लगातार छापेमारी की जा रही है। लालू परिवार के सभी करीबियों पर शिकंजा कसा जा रहा है, चाहे वह बिहार के हो, दिल्ली के हो या मुंबई के, हर जगह छापेमारी की जा रही है। अब इस कार्रवाई को लालू के समर्थक बदले की भावना करार दे रहे तो वहीं CBI 600 करोड़ का घोटाले की दावा कर रही है। आरोप यह लगा है कि लालू यादव नौकरी के बदले में लोगों से जमीन लिए हैं। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला।  

कैसे शुरू हुआ मामला
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में पिछले साल मई में जमानत पर रिहा किए जाने के कुछ हफ्तों बाद उन्हें एक अन्य मामले में विशेष अदालत ने दोषी ठहराया। सीबीआई ने उनके और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ नौकरे के बदले जमीन लेने के आरोप में एक नया मामला दर्ज किया। यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है, उस समय लालू यादव केंद्र सरकार में रेल मंत्री थे। सितंबर 2021 में जांच करने के बाद सीबीआई ने आईपीसी की धारा 120-बी के तहत प्राथमिकी दर्ज की।

क्या है जमीन के बदले नौकरी का मामला?
CBI ने आरोप लगाया कि 2004-2009 की अवधि के दौरान लालू यादव ने रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी देने के बदले में अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन-जायदाद ट्रासफर कराए। उम्मीदवारों को आवेदन करने के तीन दिनों के भीतर ही नोकरी दे दी गई। जमीन या पैसे देने के बाद उन्हें नियमित भी कर दिया गया। आरोप है कि पटना के कई लोगों ने लालू यादव के परिवार की एक प्राइवेट कंपनी को बिहार की राजधानी में अपनी जमीन बेच दी या फिर उपहार में दे दी। आरोप है कि राबड़ी देवी और उनकी बेटियों (मीसा भारती और हमा यादव के नाम पर जमीन ट्रांसफर किए गए। सीबीआई ने दावा किया कि इस चरह की नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था। उन्ह मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में नियुक्त किया गया था। सीबीआई ने आरोप लगाया कि लगभग 1,05,292 वर्ग फुट जमीन लालू यादव और उनके परिवार के बाकी सदस्यों के नाम पर विभिन्न माध्यम से किया गया।

नौकरी के बदले जमीन केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कहा कि यह 600 करोड़ का घोटाला है। 24 जगह छापे मारे गए हैं। इसमें एक करोड़ कैश मिले हैं। तलाशी के परिणामस्वरूप 1 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी, 1900 अमेरिकी डॉलर सहित विदेशी मुद्रा, 540 ग्राम सोना बुलियन और 1.5 किलोग्राम से अधिक सोने के आभूषण (लगभग 1.25 करोड़ रुपये मूल्य), विभिन्न संपत्ति दस्तावेजों, बिक्री कार्यों आदि सहित कई अन्य आपत्तिजनक दस्तावेजों की बरामदगी हुई। विशाल भूमि बैंक और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की अवैध अभिवृद्धि का संकेत देते हुए परिवार के सदस्यों और बेनामीदारों के नाम पर आयोजित किया गया।

खोजों के परिणामस्वरूप इस समय लगभग 600 करोड़ रुपये की अपराध की आय का पता चला है जो 350 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों के रूप में है और विभिन्न बेनामीदारों के माध्यम से 250 करोड़ रुपये के लेनदेन किए गए हैं। ईडी के अनुसार अब तक की गई पीएमएलए जांच से पता चला है कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के परिवार द्वारा रेलवे में नौकरी दिलाने के एवज में पटना और अन्य क्षेत्रों में प्रमुख स्थानों पर कई जमीनों का अवैध रूप से अधिग्रहण किया गया था। इन भूमि पार्सलों का वर्तमान बाजार मूल्य ₹ 200 करोड़ से अधिक है। इस संबंध में, इन जमीनों के लिए कई बेनामीदारों, फर्जी संस्थाओं और लाभकारी मालिकों की पहचान की गई है।

ED के दावे को Tejashwi ने बताया “अफवाह”
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के इस दावे को “अफवाह” बताया कि उनके और परिवार के करीबी सदस्यों के परिसरों पर छापेमारी के दौरान उसे अपराध से अर्जित 600 करोड़ रुपए के बारे में पता चला है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता यादव फिलहाल अपनी पत्नी के साथ दिल्ली में हैं। तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि यदि उन्होंने छापेमारी के बाद हस्ताक्षर किए जाने वाले पंचनामे को सार्वजनिक कर दिया तो भाजपा शर्मिंदा हो जाएगी। यादव ने अपने पिता लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहते हुए कथित होटल के बदले जमीन घोटाले का जिक्र करते हुए कहा, “याद करिए- 2017 में भी कथित 8,000 करोड़ का लेन-देन, हजारों करोड़ का मॉल, सैंकड़ों संपत्तियां, अभी चंद महीनों पहले गुरुग्राम में अरबों का व्हाइटलैंड कंपनी का अर्बनक्यूब मॉल भी मिला था। भाजपाई अब कथित 600 करोड़ का नया हिसाब लाने से पहले अपने सूत्रों को पुराने का तो हिसाब दे देते।”

 


 


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Content Writer

Imran

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