बिहार की सियासत में अब क्या होगा RCP, सहनी, चिराग और PK का रोल! इन पर टिकीं सभी दलों की निगाहें
Tuesday, Aug 16, 2022-06:39 PM (IST)

पटनाः बिहार में जहां एक तरफ नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार हो चुका है, वहीं दूसरी तरफ आरसीपी सिंह, मुकेश सहनी, चिराग पासवान और प्रशांत किशोर राज्य की राजनीति को प्रभावित करने वाले 4 ऐसे नेता है, जिनकी गतिविधियों पर सभी पार्टियों की नजर रहती है। वहीं इन सभी नेताओं में से चिराग पासवान की स्थिति काफी मजबूत है।
चिराग पासवान दलितों के बड़े नेता रामविलास पासवान के पुत्र हैं। नरेन्द्र मोदी लहर में चिराग पासवान सांसद बने और उन्होंने खुद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हनुमान कहकर 2020 के बिहार विधान सभा चुनाव में 135 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए। इसके बाद से भाजपा अंदर ही अंदर उनसे नाराज हो गई, जिनसे उन्हें केंद्र में मंत्री पद नहीं मिला। इसके बाद रामविलास की पार्टी लोजपा 2 हिस्सों में विभाजित हो गई। चाचा पशुपतिनाथ पारस को राष्ट्रीय लोजपा और भतीजे चिराग पासवान को लोजपा मिली।
चिराग के साथ दलितों का विश्वास
वहीं चिराग पासवान की सबसे बड़ी खासियत कि उनकी पार्टी लोजपा को ही बड़ा दलित वर्ग असली लोजपा मान रहा है। चिराग राजनीतिक मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय रखते हैं। भाजपा ने अभी तक उन्हें केन्द्र में एनडीए से बाहर नहीं किया है। अब जब भाजपा और जदयू अलग हो गई है तब चिराग की लोजपा खुले तौर पर भाजपा के साथ मिलकर बिहार में राजनीति कर सकती है, जिससे लोजपा की ताकत भी बढ़ेगी।
शांत बैठने वालों में से नहीं RCP सिंह
आरसीपी सिंह ने कभी नीतीश कुमार की पार्टी को आर्थिक और राजनीतिक रुप से ताकतवार बनाने में एक विश्वासी की भूमिका निभाई थी लेकिन अब उनकी ही पार्टी जदयू ने उन पर 2012 से 2022 के बीच संपत्ति अर्जित करने का गंभीर आरोप लगाया। इसके बाद आरसीपी सिंह ने जदयू छोड़ दी। वहीं अब ऐसी संभावना जताई जा रही है कि भाजपा उन्हें अपनी पार्टी में शामिल कर सकती है।
अपनी जमीन मजबूत करने में जुटे PK
प्रशांत किशोर को चुनावी रणनीतिकार के रूप में जाना जाता था। पीके ने नीतीश कुमार के साथ रहने और उनकी सरकार के लिए नीतियां बनाने के बाद उनका साथ छोड़ दिया। हाल के महीने में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस से नजदीकी बढ़ाई लेकिन कांग्रेस और प्रशांत किशोर के बीच बात नहीं बनी। अब प्रशांत किशोर जन सुराज यात्रा के माध्यम से बिहार में अपनी जमीन मजबूत करने में लग गए हैं।
मछुआरों को एकजुट करना चाहते हैं सहनी
सन ऑफ मल्लाह के रुप में पहचान बनाने वाले मुकेश सहनी 2020 के बिहार विधान सभा चुनाव में नारा लगाया था माछ-भात खाएंगे तेजस्वी को जिताएंगे लेकिन तेजस्वी ने उनकी पार्टी को एक भी सीट न देकर उनकी पीठ पर छुरा घोंपने का काम किया था। बता दें कि सहनी अब मछुआरों को अनुसूचित जाति का आरक्षण देने की मांग लगातार उठा रहे हैं।