बिहारः प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लंबित 5.51 लाख आवासों का निर्माण जून तक पूरा नहीं होने पर अधिकारियों के खिलाफ होगी कार्रवाई
5/26/2022 10:08:36 PM

पटना, 26 मई (भाषा) प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत लम्बित 5.51 लाख आवासों का निर्माण कार्य जून तक पूरा नहीं होने पर बिहार सरकार संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बृहस्पतिवार को बताया कि इनमें से कई मकानों को 2012-13 में वित्तीय मंजूरी मिली थी और वे 2015 से निर्माणाधीन हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 5,51,893 मकानों... पीएमएवाई-जी के तहत 2,42,803 और इंदिरा आवास योजना के तहत 3,09,090 मकानों... का निर्माण कार्य पूरा नहीं होना चिंता का विषय है।
श्रवण ने कहा, ‘‘मैंने हाल ही में सभी जिलों के उप विकास आयुक्तों के साथ बैठक की और उन्हें चेतावनी दी है कि अगर वे निर्माण कार्य समय पर पूरा करने में विफल रहते हैं तो उनके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी।’’
हालांकि मंत्री ने खेद व्यक्त किया कि कोई भी बैंक (निजी या राष्ट्रीयकृत) सरकारी योजनाओं के तहत मकान बनाने के लिए लाभार्थियों को ऋण देने को तैयार नहीं था।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कई बार इस मुद्दे को उठाया है। मैंने बैंकों से इस साल 24 मार्च को पटना में हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की बैठक के दौरान पीएमएवाई-जी योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को गृह ऋण प्रदान करने का भी आग्रह किया।’’
श्रवण ने कहा कि इस योजना के तहत लाभार्थी वित्तीय संस्थानों से 70,000 रुपये तक का ऋण ले सकते हैं।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, बिहार में 2016-2021 तक पीएमएवाई-जी के तहत 26.96 लाख से अधिक मकानों को मंजूरी दी गई है जिनमें से 24.54 लाख मकानों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है या मकान लाभार्थियों (लगभग 90 फीसदी को दिए जा चुके हैं।
विभिन्न जिलों सुपौल (77 फीसदी), सारण (78.65 फीसदी), मधेपुरा (81.65 फीसदी), कटिहार (82.64 फीसदी), मुंगेर (83.14 फीसदी), बेगूसराय (83.64 फीसदी) और लखीसराय (82.24 फीसदी) में काम धीमा या 85 फीसदी से कम हुआ है।
अररिया, दरभंगा, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, पूर्णिया, समस्तीपुर, सुपौल, मधुबनी और बेगूसराय जिले में आईएवाई के तहत आवासों का निर्माण 2012 से लंबित है।
राजग सरकार ने इंदिरा आवास योजना का नाम बदलकर पीएमएवाई-जी कर दिया था और 2016 में इसे 2022 तक सभी के लिए आवास पहल के तहत फिर से लॉन्च किया था। 2016-17 से 2021-22 तक देश भर में 2.95 करोड़ लक्षित मकानों में से कुल 2.62 करोड़ मकान आवंटित किए गए हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बृहस्पतिवार को बताया कि इनमें से कई मकानों को 2012-13 में वित्तीय मंजूरी मिली थी और वे 2015 से निर्माणाधीन हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 5,51,893 मकानों... पीएमएवाई-जी के तहत 2,42,803 और इंदिरा आवास योजना के तहत 3,09,090 मकानों... का निर्माण कार्य पूरा नहीं होना चिंता का विषय है।
श्रवण ने कहा, ‘‘मैंने हाल ही में सभी जिलों के उप विकास आयुक्तों के साथ बैठक की और उन्हें चेतावनी दी है कि अगर वे निर्माण कार्य समय पर पूरा करने में विफल रहते हैं तो उनके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी।’’
हालांकि मंत्री ने खेद व्यक्त किया कि कोई भी बैंक (निजी या राष्ट्रीयकृत) सरकारी योजनाओं के तहत मकान बनाने के लिए लाभार्थियों को ऋण देने को तैयार नहीं था।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कई बार इस मुद्दे को उठाया है। मैंने बैंकों से इस साल 24 मार्च को पटना में हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की बैठक के दौरान पीएमएवाई-जी योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को गृह ऋण प्रदान करने का भी आग्रह किया।’’
श्रवण ने कहा कि इस योजना के तहत लाभार्थी वित्तीय संस्थानों से 70,000 रुपये तक का ऋण ले सकते हैं।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, बिहार में 2016-2021 तक पीएमएवाई-जी के तहत 26.96 लाख से अधिक मकानों को मंजूरी दी गई है जिनमें से 24.54 लाख मकानों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है या मकान लाभार्थियों (लगभग 90 फीसदी को दिए जा चुके हैं।
विभिन्न जिलों सुपौल (77 फीसदी), सारण (78.65 फीसदी), मधेपुरा (81.65 फीसदी), कटिहार (82.64 फीसदी), मुंगेर (83.14 फीसदी), बेगूसराय (83.64 फीसदी) और लखीसराय (82.24 फीसदी) में काम धीमा या 85 फीसदी से कम हुआ है।
अररिया, दरभंगा, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, पूर्णिया, समस्तीपुर, सुपौल, मधुबनी और बेगूसराय जिले में आईएवाई के तहत आवासों का निर्माण 2012 से लंबित है।
राजग सरकार ने इंदिरा आवास योजना का नाम बदलकर पीएमएवाई-जी कर दिया था और 2016 में इसे 2022 तक सभी के लिए आवास पहल के तहत फिर से लॉन्च किया था। 2016-17 से 2021-22 तक देश भर में 2.95 करोड़ लक्षित मकानों में से कुल 2.62 करोड़ मकान आवंटित किए गए हैं।
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