Bihar Mukhiya Pooja Kumari:मुखिया नहीं मिसाल हैं पूजा, गरारी पंचायत की चमक लाल किले तक पहुंची

Thursday, Aug 07, 2025-06:05 PM (IST)

पटना: इससे बड़ी बात और क्या होगी कि बिहार के गांव की मिट्टी में रचे-बसे संस्कारों से सजी एक युवा महिला जब नेतृत्व की बागडोर संभालती है, तो वो सिर्फ पंचायत नहीं, पूरे राज्य का गौरव बन जाती है। बात हो रही है गया जिले के कोंच प्रखंड अंतर्गत गरारी पंचायत की मुखिया पूजा कुमारी की जो राज्य की सबसे युवा और दो बार निर्वाचित मुखिया हैं। पूजा कुमारी को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए इस स्वतंत्रता दिवस पर 15 अगस्त को दिल्ली के लाल किले पर होने वाले मुख्य समारोह में शामिल होने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का अवसर मिला है। 

महज 25 वर्ष की उम्र में उन्होंने जिस प्रकार पंचायत में विकास और महिला सशक्तिकरण की अलख जगाई है, वह पूरे देश के लिए प्रेरणास्पद है। यह सम्मान केवल पूजा के लिए नहीं, बल्कि पूरे बिहार के लिए गौरव का क्षण है। उन्होंने अपने कार्यों से साबित कर दिया है कि उम्र नेतृत्व की कसौटी नहीं होती, बल्कि संकल्प और संवेदनशीलता ही असली नेतृत्व की पहचान है। वे मानती हैं कि आज जो भी हैं वह अपने पंचायत के लोगों के आशीर्वाद और विश्वास के कारण हैं।

वूमेन फ्रेंडली पंचायत

पूजा बताती हैं कि जनसेवा का बीज उन्हें अपने दादा ससुर से विरासत में मिला। आज गरारी मॉडल वूमेन फ्रेंडली पंचायत के रूप में पहचाना जाता है जबकि कुछ वर्ष पहले तक यहां की महिलाएं अपने अधिकारों से तकरीबन अनभिज्ञ थीं। उन्होंने मनरेगा और स्वयं सहायता समूहों के जरिए महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा। इससे पंचायत की महिलाओं में आत्मनिर्भरता आई और घरेलू हिंसा की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगा। पूजा का मानना है कि जब महिलाओं को अधिकार और आजीविका दोनों मिल जाएं तो वे समाज का चेहरा बदल सकती हैं।

पहली महिला आमसभा की पहल

पूजा ने गया जिले की 320 पंचायतों में पहली बार महिला आमसभा की शुरुआत की। यह कदम ऐतिहासिक साबित हुआ। इसमें न केवल महिलाओं ने खुलकर भाग लिया, बल्कि उनकी भागीदारी पंचायत के फैसलों में बढ़ी। सामाजिक संगठनों और प्रशासनिक अधिकारियों ने भी पूजा की इस पहल की सराहना की। गरारी पंचायत में हर बुधवार को पंचायत भवन में ‘जनता दरबार’ लगाया जाता है, जहां गांव वालों की समस्याएं सुनी जाती हैं और त्वरित समाधान के प्रयास होते हैं। 

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शिक्षा और संरचना में सुधार

मुखिया बनने से पहले गांव में शिक्षा की स्थिति कमजोर थी। पूजा ने स्कूलों की चारदीवारी बनवाई ताकि बाहरी तत्वों से स्कूल सुरक्षित रह सकें। बच्चों के लिए पुस्तकालय की व्यवस्था की गई। साथ ही जीविका समूह की मदद से सरकारी भवनों में पोषणयुक्त रसोई की शुरुआत हुई। नल-जल योजना के तहत घर-घर शुद्ध पेयजल पहुंच रहा है। पूजा ने युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया। जिन युवाओं को नशे की लत लग चुकी है, उनके माता-पिता से बात कर उन्हें नशा मुक्ति केंद्र भेजा जा रहा है। बच्चों को भी बाल सभा के माध्यम से नशे के खिलाफ शिक्षित किया जा रहा है।

मुखिया पति नहीं, आत्मनिर्भर मुखिया चाहिए

पूजा इस रूढ़ मानसिकता को तोड़ती हैं कि महिलाओं को नेतृत्व के लिए किसी पुरुष सहारे की जरूरत है। वे कहती हैं कि अगर महिलाएं आत्मविश्वास से भरपूर हों तो मुखिया पति जैसे शब्द इतिहास बन जाएंगे। पूजा बताती हैं कि उनके पास परिवार, बच्चा और पंचायत की तिहरी जिम्मेदारी है लेकिन वो इसे चुनौती नहीं एक अवसर मानती हैं। वे मानती हैं कि महिलाओं के पास मां दुर्गा की तरह नौ हाथ होते हैं जिससे वो हर जिम्मेदारी को बखूबी निभा सकती हैं। पूजा कुमारी का नेतृत्व साबित करता है कि बदलाव सत्ता से नहीं सोच से आता है।
 


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Content Writer

Ramanjot

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