कुलपति सुरेन्द्र प्रताप सिंह बोले - राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 छात्रों को लेकर है केन्द्रित

11/22/2022 12:46:51 PM

दरभंगा: बिहार के प्रतिष्ठित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने आज कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 छात्रों को लेकर ही केन्द्रित है क्योंकि शिक्षा के क्षेत्र में कोई भी परिवर्तन हमेशा से छात्रों को केन्द्र में ही रखकर ही किया गया है।

प्रो. सिंह ने सोमवार को बी एड (नियमित) विभाग के तत्वावधान में आइसीएसएसआर प्रायोजित ‘समाज में शिक्षकों की भूमिका की परिकल्पना/राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020: विश्वगुरु भारत' विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि पाठ्यक्रम एक होने के बावजूद शिक्षकों के पढ़ाने के तरीके में एकरूपता नहीं होती है। व्यवस्था बदलने के बावजूद विविधता बनी रहती है। पढ़ाई के लिए कभी भी संसाधन की कमी नहीं होती है। यह निर्भर इस बात करता है कि शिक्षकों की विद्वता और छात्रों में पढ़ने के लिए तत्परता कितनी है। व्यवस्था परिवर्तन के साथ ही सोच बदलने की भी ज्यादा जरूरत है।  

कुलपति ने कहा कि परिवर्तन हमेशा से गंभीर विषय रहा है। देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू है। राज्य स्तरीय कई विश्वविद्यालयों में अभी नई शिक्षा नीति- 2020 लागू नहीं हुआ है। मुझे पूरा विश्वास है कि वर्ष 2023 तक ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए यह दो दिवसीय सेमिनार रोडमैप तैयार करने का कार्य करेगा। यही इस सेमिनार की सबसे बड़ी सफलता होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्षेत्र अति व्यापक है। प्रो. सिंह ने कहा कि केन्द्रीय और राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम और पढ़ाने की तरीके में जो बदलाव है, उस कमी को पाटने के लिए नई तकरीब पर कार्य करने की जरूरत है। अच्छे शिक्षकों के प्रति छात्र स्वत: श्रद्धावान हो जाते हैं।

मुख्य अतिथि के रूप में सेमिनार को संबोधित करते हुए महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, दुर्ग, मध्य प्रदेश के कुलपति प्रो रामशंकर कुरील ने कहा कि साधारण आदमी के बीच शिक्षा को लाने की जरूरत है। देश में आज भी एमबीबीएस/इंजीनियरिंग आदि की पढ़ाई साधारण आदमी की पहुंच से दूर है। इसी दूरी को कम करने के उद्देश्य से नई शिक्षा नीति- 2020 का प्रारूप तैयार किया गया है। एनइपी का मकसद ही एजुकेशन फॉर ऑल है।

कुलसचिव प्रो मुश्ताक अहमद ने कहा कि सेमिनार का विषय ही सभी को चिंतन करने पर मजबूर कर रहा है। पहले भारत किस शिक्षा पद्धति के कारण विश्वगुरु था? आज इस पद्धति में आकाश- पाताल का अंतराल कहां से आ गया है, अब शिक्षकों का कार्य है कि वे छात्रों के भीतर ऐसी सोच पैदा करें, जिससे वे समाज के साथ दुनिया की तस्वीर बदल सकें। इस सेमिनार के बाद अपने विश्वविद्यालय़ में नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए पहल तेज करेंगे।  दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो अशोक कुमार मेहता ने कहा कि इस सेमिनार से सर्द मौसम में भी बसंत ऋतु का अनुभूति हो रहा है। शिक्षक समाज का आधार होता है।
 


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Content Writer

Ramkesh

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