Goodbye 2025: ऐतिहासिक साबित हुआ बिहार चुनाव 2025, रिकॉर्ड 10वीं बार CM बने नीतीश कुमार, महागठबंधन और तीसरा मोर्चा फ्लॉप
Tuesday, Dec 30, 2025-05:12 PM (IST)
Goodbye 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Election 2025) राज्य ही नहीं, बल्कि देश की राजनीति के लिए भी ऐतिहासिक साबित हुआ। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की प्रचंड जीत के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने रिकॉर्ड दसवीं बार बिहार की सत्ता की बागडोर संभालकर नया इतिहास रच दिया। आलोचकों द्वारा स्वास्थ्य कारणों से खारिज किए जा रहे नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपने राजनीतिक कौशल, विकास और सुशासन की राजनीति से सभी अटकलों को गलत साबित कर दिया।
NDA की ऐतिहासिक जीत, जदयू की मजबूत वापसी
243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में राजग ने 202 सीटों पर जीत दर्ज कर भारी बहुमत हासिल किया। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) का प्रदर्शन सबसे चौंकाने वाला रहा, पार्टी का आंकड़ा पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले 43 से बढ़कर 85 हो गया। वहीं, महागठबंधन महज 35 सीटों पर सिमट गया।
विपक्ष के हमले और नीतीश कुमार की रणनीति
चुनाव से पहले विपक्ष ने नीतीश कुमार के स्वास्थ्य, कानून-व्यवस्था और शराबबंदी की विफलता को बड़ा मुद्दा बनाया। राजद नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री को “मुखौटा” करार तक दिया। इसके बावजूद, नीतीश कुमार ने महिला सुरक्षा, आर्थिक सहायता और मुफ्त बिजली जैसे ठोस कदम उठाकर मतदाताओं का भरोसा जीता।
महिला वोटरों ने बदला चुनाव का रुख
महिलाओं के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना और खातों में सीधे 10 हजार रुपये की सहायता का बड़ा असर दिखा। इस चुनाव में 71.6 प्रतिशत महिला मतदान हुआ, जो पुरुषों (62.8 प्रतिशत) से लगभग 9 प्रतिशत अधिक रहा। यह राजग की जीत में निर्णायक साबित हुआ।
मुफ्त बिजली का दांव रहा सफल
राजद द्वारा 200 यूनिट मुफ्त बिजली के वादे के जवाब में नीतीश कुमार ने 125 यूनिट मुफ्त बिजली की घोषणा कर उसे लागू भी कर दिया। चुनाव से पहले लागू इस फैसले ने राजग को सीधा लाभ पहुंचाया।
महागठबंधन की अंदरूनी कलह बनी हार की वजह
राजद, कांग्रेस, वीआईपी और वाम दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर भारी तनाव रहा। 11 सीटों पर महागठबंधन के घटक दल आपस में ही भिड़ गए, जिसका सीधा फायदा राजग को मिला। राजद का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और पार्टी सिर्फ 25 सीटों पर सिमटकर मुश्किल से नेता प्रतिपक्ष बन पाई।
प्रशांत किशोर का तीसरा मोर्चा फ्लॉप
जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बदलाव की राजनीति का दावा किया, लेकिन स्वयं चुनाव न लड़ने के फैसले ने उनकी रणनीति को कमजोर कर दिया।मतदाताओं को “वोट बर्बाद” होने का डर रहा और नतीजा यह हुआ कि जनसुराज पार्टी शून्य पर सिमट गई।
दसवीं बार मुख्यमंत्री, वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम
20 नवंबर को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके साथ ही उनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन में दर्ज हुआ। आज़ादी के बाद यह पहली बार है जब किसी भारतीय नेता ने किसी राज्य में दस बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

