"चुनाव आयोग धृतराष्ट्र बन चुका", EC पर भड़के पप्पू यादव, कहा- वे न तो सुप्रीम कोर्ट की सलाह मान रहे हैं और न ही....

Monday, Jul 14, 2025-12:43 PM (IST)

नई दिल्ली: पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव (Pappu Yadav) ने सोमवार को बिहार में मतदाता सूची में संशोधन के फैसले को लेकर भारत के चुनाव आयोग की आलोचना करते हुए उसे "धृतराष्ट्र" कहा और उस पर संविधान का "सम्मान नहीं करने" या सुप्रीम कोर्ट की सलाह का पालन नहीं करने का आरोप लगाया।

पप्पू यादव की यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनाव आयोग को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को जारी रखने की अनुमति देने के बाद आई है, साथ ही उन्हें इसकी अनुमति देने पर विचार करने की सलाह भी दी है। मतदाता पहचान साबित करने के लिए आधार, राशन कार्ड और मतदाता फोटो पहचान पत्र स्वीकार्य दस्तावेज हैं। पप्पू यादव ने कहा, "चुनाव आयोग पहले ही 'धृतराष्ट्र' बन चुका है। वे न तो सुप्रीम कोर्ट की सलाह मान रहे हैं और न ही संविधान का सम्मान कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सलाह दी है और स्पष्ट रूप से कहा है कि किसी भी परिस्थिति में आप यह तय नहीं कर सकते कि कौन भारतीय है और कौन नहीं। संविधान के तहत काम करें और आधार कार्ड को अन्य दस्तावेज़ों के साथ शामिल करें।" 

भाजपा सांसद ने सुप्रीम कोर्ट के इस कदम का किया समर्थन
इससे पहले, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने सुप्रीम कोर्ट के इस कदम का समर्थन किया और कहा कि नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश जैसे विदेशी नागरिकों के नाम सूची से हटा दिए जाने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे लोगों को उनके देश वापस भेजा जाना चाहिए और यह प्रक्रिया अन्य राज्यों में भी की जानी चाहिए। रविवार को एएनआई से बात करते हुए, योगेंद्र चंदोलिया ने कहा, "चूंकि चुनाव आयोग ने बिहार में यह काम शुरू कर दिया है, इसलिए वह इसे अन्य राज्यों में भी जारी रखेगा। अगर नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश के लोग हमारे मतदाता हैं, तो स्थानीय निवासियों को वोट देने का अधिकार देने का क्या मतलब है?" ऐसे वोटों को हटाया जाना चाहिए, और इतना ही नहीं, इन लोगों को उनके मूल स्थान पर वापस भेज दिया जाना चाहिए।" 

इस साल के अंत में होंगे विधानसभा चुनाव
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने एसआईआर प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई, बल्कि चुनाव आयोग से कहा कि वह बिहार में मतदाता सूचियों की एसआईआर के दौरान मतदाता पहचान साबित करने के लिए आधार, राशन कार्ड और मतदाता फोटो पहचान पत्र को स्वीकार्य दस्तावेज के रूप में अनुमति देने पर विचार करे। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि 1 अगस्त से 30 अगस्त तक उचित जांच के बाद, अगर ये सही पाए जाते हैं, तो ऐसे नामों को 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित होने वाली अंतिम सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने कहा कि शनिवार शाम तक, बिहार में 80.11 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने फॉर्म जमा कर दिए थे। आयोग 25 जुलाई की निर्धारित समय सीमा से पहले गणना फॉर्म (ईएफ) जमा करने की प्रक्रिया पूरी करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Ramanjot

Related News

static