बिहार में छठ पर दिखा कोरोना का भारी असर, लोगों ने घरों के अहाते और छतों पर बनाया अस्थाई घाट

Saturday, Nov 21, 2020-10:26 AM (IST)

पटनाः लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के दिन हर साल की तरह इस बार बिहार के नदी-तालाबों पर घाट नहीं बना और ना ही गंगा में छठ पूजा करने के लिए लोग उतरे। कोरोना वायरस महामारी के कारण लोगों ने अपने घरों के अहाते और छतों पर अस्थाई घाट की व्यवस्था की। हालांकि कुछ लोग मीलों चलकर पटना में गंगाघाट पर छठ करने पहुंचे थे लेकिन बाकी साल के मुकाबले इस बार वहां लोगों की संख्या बहुत कम थी।

बिहार और पूर्वांचल में छठ पूजा का बहुत महत्व है और इसे पूरे उत्साह तथा स्वच्छता के साथ मनाया जाता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने आधिकारिक आवास पर ‘अस्ताचलगामी सूर्य' को अर्ध्य दिया। 15 साल पहले मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद से नीतीश अर्ध्य देने की परंपरा निभा रहे हैं। हर साल स्टीमर पर सवार होकर गंगा घाट जाने और वहां व्रतियों से मिलने वाले नीतीश इस साल अपने घर पर ही रहे और मास्क लगाकर पूजा की। उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने पश्चिम चंपारण जिले के मुख्यालय बेतिया में अपने आवास पर परिवार और रिश्तेदारों के साथ मिलकर वह परंपरागत तरीके से छठ पूजा की। बिहार की पहली महिला उपमुख्यमंत्री रेणु देवी (63) लंबे समय से छठ का व्रत करती हैं।

चार दिन चलने वाली छठ पूजा का शुक्रवार को तीसरा दिन था जिसमें अस्त होते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। पहले दिन नहाए-खाए और दूसरे दिन खरना होता है। चौथे दिन व्रती ऊगते हुए सूर्य को अर्ध्य देकर अपना व्रत पूरा करते हैं। नहाए-खाए के दिन बिना प्याज-लहसन के शुद्ध सात्विक भोजन बनता है। खरना के दिन व्रती सिर्फ एक बार रात को भोजन करते हैं और प्रसाद में गुड़ की खीर (रसियाव) बनती है। चार दिन के इस व्रत को करने वाले जमीन पर सोते हैं। व्रत के तीसरे और चौथे दिन अर्ध्य में फल और पकवान पूजा में चढ़ते है। इस दौरान गुड़ और चीनी का ‘ठेकुआ' का प्रसाद बनता है जो काफी लोकप्रिय है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Ramanjot

Related News

static