Bihar Diwas: आज तक भी पुनर्निर्माण के रास्ते पर चल रहा बिहार, ऐसे बनाई अपनी अलग पहचान

3/22/2021 6:11:28 PM

 

पटनाः 22 मार्च 1912 को बंगाल से अलग करके बिहार को विधिवत राज्य का दर्जा दिया गया था। उस समय उड़ीसा और झारखंड भी बिहार के साथ थे। तभी से बिहार पुनर्निर्माण के रास्ते पर चल रहा है। आइए जानते हैं बिहार ने अपनी अलग पहचान कैसे बनाई है।

सड़क और बिजली से आगे बढ़कर बिहार अब सामाजिक बदलाव के लिए बेताब है। शराबबंदी की सफलता-असफलता पर राजनीतिक बहस को अगर छोड़ दें तो अधिकत्तर लोगों का मानना है कि समाज को बचाने का इससे बेहतर रास्ता दूसरा नहीं हो सकता। इसीलिए 30 मार्च 2016 को बिहार में दोनों सदनों के सदस्यों ने सामूहिक रूप से शराबबंदी का संकल्प लिया।

वहीं राज्य सरकार की सभी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसद आरक्षण देकर बिहार सामाजिक क्रांति का गवाह बना। महिला उत्थान के एक बड़े फैसले से इस राज्य ने देश को प्रभावित किया है। 2005 में जब सत्ता परिवर्तन हुआ और नीतीश कुमार के नेतृत्व मेें एनडीए की नई सरकार बनी। इसके बाद एक साल के भीतर देश में पहली बार बिहार में पंचायती राज के सभी पदों पर आधी आबादी को 50 फीसद आरक्षण दिया गया। इसका अनुसरण दूसरे कुछ राज्यों ने भी किया।

इतना ही नहीं 1947 में ही बिहार ने भूमिहीनों के लिए अधिनियम बनाकर सबके लिए आवास की व्यवस्था की। आजादी के बाद देश की सबसे बड़ी समस्या से निजात के लिए रोडमैप बिहार ने ही बनाया था। भूमि सुधार के प्रयासों का पहला अध्याय 1950 में तब लिखा गया, जब बिहार भूमि सुधार अधिनियम पारित कर जमींदारी व्यवस्था पर रोक लगाई गई।


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Nitika

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