बिहार आर्थिक सर्वेक्षण विधानसभा में पेश, वित्त मंत्री ने वृद्धि दर को राष्ट्रीय औसत से बताया बेहतर

2/28/2023 1:49:27 PM

 

पटनाः बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि राज्य ने विकास दर के मामले में वित्त वर्ष 2021-22 में 10.98 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है, जो 8.68 प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से बेहतर है।

बिहार विधानमंडल के बजट सत्र के प्रथम दिन चौधरी ने राज्य विधानसभा में वित्त वर्ष 2022-23 का बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करते हुए कहा, “बिहार की अर्थव्यवस्था ने 2021-22 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के रूप में स्थिर कीमतों पर 10.98 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है जबकि इसी अवधि में राष्ट्रीय विकास दर 8.68 प्रतिशत थी।" उन्होंने कहा, “बिहार की अर्थव्यवस्था भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। आंध्र प्रदेश (11.4 प्रतिशत) और राजस्थान (11.04 प्रतिशत) के बाद बिहार की 10.98 प्रतिशत की वृद्धि देश के शीर्ष पांच सबसे तेजी से बढ़ते राज्यों में तीसरे स्थान पर है।" बाद में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान चौधरी ने कहा कि बिहार ने 2021-22 के दौरान आधारभूत संरचना क्षेत्र में सबसे अधिक 20.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। उन्होंने कहा, "प्राथमिक क्षेत्र में जीएसडीपी वृ्द्धि में दो सबसे महत्वपूर्ण योगदान 'पशुधन' एवं 'मत्स्य पालन तथा कृषि क्षेत्र का रहा है जिनमें क्रमशः 9.5 और 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। वैसे 'खनन एवं उत्खनन' में भी नौ प्रतिशत की उच्च वृद्धि दर दर्ज की गई है, पर इसका आकार बहुत छोटा है।"

चौधरी ने कहा कि द्वितीयक क्षेत्र में बिजली, गैस, जल-आपूर्ति और अन्य उपयोगी सेवाएं (ईजीडब्ल्यूयूएस) 14.5 प्रतिशत की उच्च दर से बढ़ रही थीं। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, तृतीयक क्षेत्र में सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्र वायु परिवहन (10.5 प्रतिशत), भंडारण (21.3 प्रतिशत), वित्तीय सेवाएं (12.6 प्रतिशत) और लोक प्रशासन (9.3 प्रतिशत) रहे। आर्थिक सर्वेक्षण कहता है कि वित्त वर्ष 2021-22 में राज्य सरकार का कुल व्यय 1.93 लाख करोड़ रुपए था। इसमें से 1.59 लाख करोड़ (82.4 प्रतिशत) रुपए राजस्व व्यय हुआ। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार 2020-21 में प्रति व्यक्ति जीएसडीपी के लिए राज्य के सभी 38 जिलों में तीन सबसे समृद्ध जिले पटना (1,15,239 रुपये), बेगूसराय (45,497 रुपए) और मुंगेर (42,793 रुपए) रहे।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों (2017-18 से 2021-22) के दौरान कृषि और संबद्ध क्षेत्र लगभग पांच प्रतिशत की दर से बढ़ा। कुल मिलाकर, इस क्षेत्र की 2020-21 में सकल राज्य मूल्य-वर्धन (जीएसवीए) में 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। राज्य सरकार मखाना, फल और सब्जियां, मक्का, औषधीय पौधे, सुगंधित पौधे, शहद और चाय जैसे सात उत्पादों में बिहार कृषि-निवेश प्रोत्साहन नीति को लागू कर रही है। बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति 2016 के तहत राज्य सरकार को पिछले छह वर्षों में 60.86 हजार करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। सर्वाधिक निवेश खाद्य प्रसंस्करण (1395.65 करोड़ रुपए) में हुआ है, जो राज्य में कुल निवेश का 41 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2020-21 की 71 परियोजनाओं के मुकाबले

वित्त वर्ष 2021-22 में राज्य विभिन्न आकार की 97 परियोजनाओं को आकर्षित कर सका। सूक्ष्म उद्यमों में निवेश और रोजगार की राशि में क्रमशः 135 प्रतिशत और 107 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। बड़े उद्यमों में निवेश और रोजगार की मात्रा में क्रमश: 131 प्रतिशत और 187 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, बिहार में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा (एलईबी) 2006-10 में 65.8 वर्ष थी, जो 2016-20 में बढ़कर 69.5 वर्ष हो गई। इस तरह दस वर्षों की अवधि में 3.7 वर्ष की वृद्धि दर्ज की गई है। भारत के लिए एलईबी में 2006-10 और 2016-20 के बीच 3.9 साल की वृद्धि दर्ज की गई है।
 


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Nitika

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