Shardiya Navratri: आस्था का अटूट केंद्र है बिहार का अंबिका भवानी मंदिर, यहां मिट्टी की पिंडियों की होती है पूजा

Friday, Oct 11, 2024-01:21 PM (IST)

पटना: बिहार के सारण जिले में आमी गांव स्थित अंबिका भवानी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का अटूट केंद्र है। मां अंबिका भवानी मंदिर स्थानीय लोगों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और नेपाल के श्रद्धालुओं के बीच भी अत्यधिक पूजनीय है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कई सदियों पूर्व हुआ था, और इसकी अनूठी स्थापत्य शैली और दैवीय शक्ति श्रद्धालुओं को दूर-दूर से आकृष्ट करते हैं।

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कहा जाता है कि इस मंदिर को यदि केंद्र बिन्दु माना जाए तो इसके समान दूरी पर ही पड़ोसी देश नेपाल में स्थित काठमांडू का पशुपतिनाथ मंदिर, पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश का विश्वनाथ मंदिर और झारखंड के देवघर में मौजूद बाबा वैद्यनाथ धाम की दूरी एक समान है। अंबिका मंदिर इन सभी मंदिरों से दूरी बना कर एक त्रिभुज का निर्माण करती है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां मिट्टी की पिंडी की पूजा मां जगत जननी दुर्गाके रूप में की जाती है। इस कारण यह सिद्धपीठ भक्तों के लिए हमेशा ही आस्था का केंद्र रहा है। प्रति वर्ष अश्विन और चैत्र मास में नवरात्र के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। भक्त अपने घर से यहां आकर नौ दिनों तक मंदिर में रहकर भी दुर्गा सप्तशती का पाठ एवं जप करते हैं। पूरे साल मंदिर के पुजारियों के द्वारा सुबह एवं शाम आरती के बाद मंदिर का पट श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है, जिसमें आम भक्त हिस्सा लेते हैं। लेकिन नवरात्रि के अवसर पर इसमें मंदिर के पुजारियों के द्वारा ही मां अम्बिका की आरती की जाती है, जिसमें आम भक्त का प्रवेश वर्जित होता है। 

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स्थानीय कथा के अनुसार, मां अंबिका भवानी मंदिर का संबंध रामायण से है। मान्यता है कि श्रीरम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले इसी स्थान पर माँ अंबिका भवानी की पूजा की थी और उनका आशीर्वाद लिया था। यहां देवी पार्वती के अंबिका स्वरूप की यहां पूजा की जाती है। भक्तों का विश्वास है कि माता अंबिका भवानी का आशीर्वाद संकटों को दूर करता है और मनोकामनाएं पूरी करता है। इस मंदिर पर नवविवाहित जोड़े माता का आशीर्वाद मांगने भी आते हैं। मंदिर प्रांगण में माता के मुख्य मंदिर के अलावा शिव जी, हनुमान जी, और श्री राम दरबार जैसे अन्य मंदिर भी हैं। नवरात्रि के दौरान इस मंदिर की चहल-पहल, रंग-बिरंगी सजावट, और निरंतर पूजा अर्चना देखते ही बनती है। श्रद्धालुओं की भीड़ माता को प्रसाद चढ़ाने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए भक्तिभाव से उमड़ पड़ती है। नवरात्रि के दौरान इस मंदिर का उत्सव एक अलौकिक अनुभव होता है जो परंपरा, भक्ति और माँ अंबिका के प्रति अपार श्रद्धा को दर्शाता है। 


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Ramanjot

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