झारखंड में कुड़मी समुदाय का आज से ‘शांतिपूर्ण’ रेल रोको आंदोलन शुरू, ST दर्जे की मांग को लेकर करेंगे अनिश्चितकालीन प्रदर्शन
Saturday, Sep 20, 2025-09:26 AM (IST)

Jharkhand News: कुड़मी समुदाय के सदस्य अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की अपनी मांग के समर्थन में झारखंड के विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर आज यानी शनिवार को अनिश्चितकालीन ‘रेल टेका' (रेल रोको) आंदोलन शुरू हो गया।
प्रशासन ने निषेधाज्ञा लागू की
प्रशासन ने निषेधाज्ञा लागू की है, इसके बावजूद यह आंदोलन किया जा रहा है। ‘आदिवासी कुर्मी समाज' (एकेएस) के बैनर तले प्रदर्शनकारी रांची के राय स्टेशन, गिरिडीह के पारसनाथ और बोकारो जिले के चंद्रपुरा स्टेशन पर रेल पटरियों पर बैठे देखे गए। इसके कारण दक्षिण पूर्व रेलवे और पूर्व मध्य रेलवे के विभिन्न मंडलों में रेल सेवाएं प्रभावित हुईं। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षाकर्मी प्रदर्शनकारियों को समझाकर रेल पटरियों से हटाने के प्रयास में जुटे हैं। आंदोलन के मद्देनजर रांची प्रशासन ने जिले के विभिन्न स्टेशनों के 300 मीटर के दायरे में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है।
शांतिपूर्ण तरीके से रेलवे पटरियों पर कर रहे प्रदर्शन
एक आधिकारिक बयान के अनुसार यह आदेश मुरी, सिल्ली, खलारी और टाटीसिलवे में शुक्रवार रात आठ बजे से 21 सितंबर सुबह आठ बजे तक प्रभावी रहेगा। पूर्वी सिंहभूम जिले के धालभूम अनुमंडल के टाटानगर, गोविंदपुर, राखा माइंस और हल्दीपोखर स्टेशनों पर भी 100 मीटर के दायरे में इसी तरह के प्रतिबंध लागू किए गए हैं। आदेशों के अनुसार, प्रदर्शन, धरना, पुतला दहन या घेराव, लाठी-डंडे और धनुष-बाण जैसे किसी भी प्रकार के हथियार लेकर चलना, शांति भंग करने के इरादे से पांच या उससे अधिक लोगों का इकट्ठा होना, और जनसभा करना प्रतिबंधित किया गया है। ‘आदिवासी कुर्मी समाज' के सदस्य एवं ‘कुर्मी विकास मोर्चा' के केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा कि प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण तरीके से रेलवे पटरियों पर विरोध जता रहे हैं।
आदिवासी कुड़मी समाज के सदस्य और कुड़मी विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने बताया कि समुदाय के सदस्यों से कहा गया है कि वे रेल यातायात को बाधित किए बिना, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाए बिना और किसी भी प्रकार की हिंसा में शामिल हुए बिना शांतिपूर्ण तरीके से रेल पटरियों पर विरोध प्रदर्शन करें।
ओहदार ने कहा, ‘‘हम कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश से अवगत हैं और यह सुनिश्चित करेंगे कि रेलवे पटरियों पर विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से हो तथा किसी भी परिस्थिति में सदस्य रेलवे संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे या हिंसा में शामिल नहीं होंगे। सदस्यों से कहा गया है कि जब राज्य या रेलवे इकाइयों के सुरक्षाबल उन्हें पटरियों से हटाने या एहतियातन हिरासत में लेने की कोशिश करें तो वे प्रतिरोध न करें।''
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने असंवैधानिक और अवैध किया घोषित
बता दें कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 20 सितंबर को रेल और सड़क जाम करने की कुड़मी समुदाय की योजना को असंवैधानिक और अवैध घोषित कर दिया है तथा रेलवे और राज्य सरकार को कानून-व्यवस्था बनाए रखने एवं जनता की आवाजाही निर्बाध सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है। आदिवासी कुड़मी समाज ने झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा तक फैले वृहत्तर छोटा नागपुर क्षेत्र में रेल और सड़क जाम का आह्वान किया है।